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संस्कृत : धिक् धिक् ताना… धिक् … संस्कृतेन सम्भाषनं कुरू

Sep 2, 2017

दुर्ग। संस्कृत विषय में आमतौर पर छात्र रुचि नहीं लेते, लेकिन अब यह विषय रोचक बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। दुर्ग जिले में संस्कृत को सरल और रोजगारोन्मुखी बनाने की दिशा में अभिनव प्रयोग होने जा रहा है। यहां के 386 सरकारी स्कूलों में बच्चों को खेल-खेल में संस्कृत सिखाई जाएगी। गाना गाएंगे संस्कृत में, और तो और मध्यान्ह भोजन करेंगे तो भी संस्कृत बोलेंगे। शिक्षक और विद्यार्थी आपस में बातचीत भी संस्कृत में करेंगे।स्कूल में ऐसे सीखेंगे संस्कृत, खेलेंगे स्पर्शकीड़म,  जिले के 386 सरकारी स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट
दुर्ग। संस्कृत विषय में आमतौर पर छात्र रुचि नहीं लेते, लेकिन अब यह विषय रोचक बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। दुर्ग जिले में संस्कृत को सरल और रोजगारोन्मुखी बनाने की दिशा में अभिनव प्रयोग होने जा रहा है। यहां के 386 सरकारी स्कूलों में बच्चों को खेल-खेल में संस्कृत सिखाई जाएगी। गाना गाएंगे संस्कृत में, और तो और मध्यान्ह भोजन करेंगे तो भी संस्कृत बोलेंगे। शिक्षक और विद्यार्थी आपस में बातचीत भी संस्कृत में करेंगे।छत्तीसगढ़ विद्या मंडलम् (बोर्ड) और दुर्ग जिला शिक्षा विभाग का संयुक्त प्रोजेक्ट सितंबर में लागू होने जा रहा है। छत्तीसगढ़ के इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर इसे राज्यभर के सरकारी स्कूलों में लॉन्च किया जाएगा। प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ विद्या मंडलम् के सदस्य आचार्य नीलेश शर्मा ने तैयार किया है, जो दुर्ग के ही हैं। जिले के 40 हजार विद्यार्थियों के बीच यह प्रयोग होगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत 153 संस्कृत व्याख्याताओं को संस्कृत संभाषण कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। ये मास्टर ट्रेनर मिडिल स्कूलों के संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षकों को स्कूल में जाकर सिखाएंगे। कार्यशाला में खासतौर पर प्रशिक्षण देने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली के लोकेश जैन आएंगे। वे प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षकों को सात दिनों तक गुर सिखाएंगे।
इस तरह सीखेंगे संस्कृत
संस्कृतेन- संस्कृतेन सम्भाषनं कुरू… धिक् धिक् ताना धिक् धिक् तै: धिक् तै तै तो: … इस तरह सुर में संस्कृत के शिक्षक गीत गाएंगे और बच्चों को भी इसी तरह की प्रैक्टिस कराएंगे। इसी तरह बच्चे जब भी खेल खेलेंगे तो वे खेलते समय संस्कृत में बोलेंगे। मसलन सांप सीढ़ी को सर्प जालम्, शतरंज को चुतुरंगिनी, गोला फेंक को लौह प्रहार, तैराकी को अवगाहन प्रतियोगिता और कबड्डी को स्पर्शक्रीड़म् संबोधित करेंगे। मध्यान्ह भोजन के समय भी बच्चे संस्कृत में बोलेंगे। चटाई में बैठिए तो बोलेंगे कहे उपविशतु। गिलास रखिए को कहेंगे चसक: स्थापयतु।
रोजगार से जोडऩे सिलेबस हो रहा तैयार
छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडलम् के अध्यक्ष परमानन्द गिरी बताते हैं कि हाईस्कूल से हायर सेकंडरी स्कूल में संस्कृत को सरल बनाने और उसे रोजगारोन्मुखी बनाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। अभी तक परम्परागत शैली में संस्कृत पढ़ाया जा रहा है। अब नए पैटर्न में पाठ्यक्रम तैयार कराए जा रहे हैं।
हर महीने होगी मॉनिटरिंग
दुर्ग जिले में संस्कृत विषय को सरल तरीके से पढ़ाने के प्रोजेक्ट को संस्कृत बोर्ड ने मंजूरी दी है। यह राज्य का पहला प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट को लोक शिक्षण संचालनालय को भी भेजा जाएगा। बोर्ड के सदस्य हर महीने स्कूलों में मॉनिटरिंग करेंगे।
-आचार्य निलेश शर्मा, सूत्रधार

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