भिलाई। संतोष रूंगटा समूह के कोहका-कुरूद रोड स्थित कैम्पस में संचालित रूंगटा कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आरसीइटी) के बीई थर्ड सेमेस्टर के माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्रों तथा फैकल्टी मेम्बर्स के दल ने विगत एक सप्ताह के दौरान भिलाई इस्पात संयंत्र को माल सप्लाई करने वाली खदानों दल्ली-राजहरा माइंस तथा नंदिनी माइंस की इंडस्ट्रियल विजिट कर खदानों की कार्यप्रणाली का व्यवहारिक तथा तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया।डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा ने बताया कि अकूत खनिज संपदा के धनी छत्तीसगढ़ तथा इससे लगे हुए राज्यों में माइनिंग के क्षेत्र में तकनीकी रूप से दक्ष इंजीनियर्स के लिये रोजगार की अपार संभावनायें हैं। भावी माइनिंग इंजीनियर्स को सिलेबस के साथ-साथ खदानों की कार्यप्रणाली तथा अपनाई जा रही तकनीकों से अवगत कराने समूह द्वारा इंडस्ट्रियल विजिट्स का आयोजन किया गया। डायरेक्टर एफ एण्ड ए सोनल रूंगटा ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र को खनिज सप्लाई करने वाली ये दो खदानें इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खदानों के रूप में जानी जाती हैं इसलिये स्टूडेंट्स के लिये इस विजिट के दौरान अच्छा टेक्निकल एक्सपोजर मिला।
दल्ली राजहरा माइंस विजिट के दौरान स्टूडेंट्स को इस माइंस के सीनियर मैनेजर इंचार्ज प्रवीण कुमार तथा आर. बिष्ट का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। जिसमें इन अधिकारियों ने स्टूडेंट्स को जानकारी देते हुए बताया कि दल्ली-राजहरा माइंस से लौह अयस्क के रूप में इस्पात की प्रचुर मात्रा वाले खनिज हेमेटाइट की सप्लाई होती है। इस खदान की खनन क्षमता 1 लाख टन प्रति महीने की है। नंदिनी माइंस विजिट के दौरान माइंस के इंचार्ज टी.जी. उल्हासकुमार तथा अलंकार भिवेगाडे ने स्टूडेंट्स का निर्देशन तथा मार्गदर्शन किया। इसके अंतर्गत एक प्रेजेण्टेशन के माध्यम से स्टूडेंट्स को बताया गया कि 2000 टन प्रति दिवस की खनन क्षमता वाली इस माइंस से भिलाई इस्पात संयंत्र को खनिज के रूप में प्रचुर मात्रा वाले लाइमस्टोन की सप्लाई होती है। दोनों ही खदानों में खनन प्रक्रिया डम्पर-शोवेल के संयुक्त प्रयोग द्वारा की जाती है इसके अलावा खदान में बल्क एक्स्प्लोजिव के माध्यम से ब्लास्टिंग भी किया जाता है। खदानों की विजिट के दौरान माइनिंग स्टूडेंट्स को खदान सुरक्षा संबंधी जानकारी तथा नियमों से भी विस्तृत रूप से अवगत कराया गया।
इन दोनों खदानों की इंडस्ट्रियल विजिट के सफल आयोजन में रूंगटा कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी के डिपाटर्मेंट आॅफ माइनिंग इंजीनियरिंग के फैकल्टी मेम्बर्स डॉ. रविकांत सिंह गब्बी, प्रो. वेंकट रमन्ना, प्रो. शाश्वत डोहोरे, प्रो. आनंद कुम्भारे तथा प्रो. भागवत डेकवार का उल्लेखनीय योगदान रहा।