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‘छत्तीसगढ़ के परिवेश में अमूर्तन’ प्रो. योगेन्द्र त्रिपाठी के चित्रों की प्रदर्शनी

Dec 25, 2019

Yogenddra Tripathy of Patankar Girls Collegeदुर्ग। चित्रकला में कल्पना एक बड़ा पक्ष होता है जिसमें चित्रकार अपनी स्मृतियों के सहारे धूसर रंगों में सोच को कैनवास पर उतारता है। धूसर रंगों में अमूर्तन को मनोलोक का स्पंदन कहा जा सकता है। योगेन्द्र त्रिपाठी शासकीय डॉ. वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग में चित्रकला विभाग के विभागाध्यक्ष है। उनके चित्रों की प्रदर्शनी नई दिल्ली के सफदरगंज एनक्लेव के ‘आर्ट मोटिफ गैलरी’ में लगाई गयी। इस प्रदर्शनी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों एवं प्रबुद्ध वर्ग ने सराहा है। योगेन्द्र त्रिपाठी के अमूर्तन चित्रों पर कला समीक्षकों ने राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में आलेख लिखे है। त्रिपाठी खैरागढ़ के निवासी है और उन्होनें इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की है। उन्होनें अध्यापन के दौरान छत्तीसगढ़ अंचल के भ्रमण के दौरान प्राकृतिक संपदा को, गांवों और वनांचल की जमीन को अपनी कलाकृतियों में उकेरना शुरू किया।
उनके चित्रों में छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों के घरों के दीवार पर उकेरे गए चित्र, जंगल में उगे पेड, मकानों, मिट्टी की आकृतियों को एक नया स्वरूप मिला है।
योगेन्द्र त्रिपाठी के चित्रों पर सुप्रसिद्ध चित्रकार एवं समीक्षक रवीन्द्र त्रिपाठी कहते है कभी-कभी हेलीकाप्टर या हवाई जहाज से यात्रा करने के दौरान जब नीचे की धरती दिखाई देती है या शहर-गाँव दिखाई देते है तो आदमी, पेड़, मकान साफ नहीं दिखते। हरा दिखता है पर वो उस तरह का हरा नहीं होता है जो जमीन पर खड़े होकर दिखता है। ऐसा नजारा चित्रकार अपनी कल्पनाशील आंखों से भी देखता है। योगेन्द्र त्रिपाठी की कलाकृतियाँ इसी का प्रमाण है।
रजा फाउंडेशन नई दिल्ली तथा ललित कला अकादमी भुवनेश्वर से जुड़े त्रिपाठी को 2017 में राष्ट्रीय वेनीले पेंटिंग अवार्ड मिला है। ललित कला अकादमी अवार्ड तथा महाकौशल कला परिषद से भी सम्मानित हो चुके है।
कन्या महाविद्यालय में अध्यापन के साथ प्रदेश की कला गतिविधियों में वे सक्रिय रहते है। प्रचार-प्रसार से दूर अमूर्तन कला के क्षेत्र में उनकी कलाकृतियाँ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित होती है।
नई दिल्ली में आयोजित प्रदशर्नी को बहुतों ने सराहा और कला समीक्षकों ने त्रिपाठी के ‘अपनी धरती अपना गांव’ के इस स्वरूप की खूब तारीफ की। त्रिपाठी की रूचि मूर्तिकला एवं संगीत में भी है उनका प्रयास है इस दिशा में अपने प्रदेश की प्रतिभाओं को आगे लाया जाये।
प्रो. योगेन्द्र त्रिपाठी इस सफलता पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी तथा प्राध्यापकों एवं छात्राओं ने बधाई दी है।

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