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यदि कचरा उत्पन्न करना फितरत है तो इसका निपटान भी हमारी जिम्मेदारी : पूर्णिमा

Dec 4, 2019

‘ट्रेंड्स इन सोशल वेस्ट मैनेजमेंट एंड बायोलॉजी’ पर शंकराचार्य महाविद्यालय में कार्यशाला

Former scientist of ISRO Pratima Savargaonkar speaks at Shri Shankaracharya Mahavidyalayaभिलाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की पूर्व वैज्ञानिक श्रीमती पूर्णिमा सावरगांवकर ने आज कहा कि यदि कचरा उत्पन्न करना हमारी फितरत है तो इसका निपटान और प्रबंधन करना भी हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए। वे श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में ‘ट्रेंड्स इन सोशल वेस्ट मैनेजमेंट एंड बायोलॉजी : एप्रोच टू ए सिरीन वर्ल्ड’ पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को विशिष्ट अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।If producing waste is our right than waste management should be our duty‘सोल एंड सॉयल प्रा.लि.’ की संस्थापक श्रीमती पूर्णिमा सावरगांवकर ने कहा कि बढ़ते हुए शहरीकरण के दौर में हमने अपने लाभ के लिए प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। मानव ने अपने कृत्यों से हर तरह के कचरे का भरपूर उत्पादन किया है। भारत की उन्नत सभ्यता में कचरे का कहीं उल्लेख ही नहीं है, क्योंकि हमारे पूर्वज कचरे का प्रबंधन पारंपरिक रीति से करना जानते थे एवं भलीभांति इसका महत्व समझते थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षित वर्ग भी कचरा उत्पादन में पीछे नहीं है। यदि कचरा उत्पन्न करना हमारा अधिकार है, तो इसका प्रबंधन हमारा कर्तव्य होना चाहिए। जिन चीजों का हमारे जीवन में आर्थिक महत्व है उन्हें हम कचरा नहीं समझते। विडम्बना यह है कि हर कचरा अपना एक आर्थिक महत्व रखता है जिसे जनसाधरण अनदेखा कर फेक देते है।
श्रीमती सावरगांवकर ने कहा कि दैनिक जीवन में हर घर से निकलने वाले कचरे का केवल 2 से 10 प्रतिशत हिस्सा ही रिसाइकिल करने योग्य नहीं होता, शेष कचरे का हम घर पर ही प्रबंधन करके इसका उचित उपयोग कर सकते है। उन्होंने किचन वेस्ट एवं बगीचे के कचरे से जैविक खाद (मिट्टी), जैविक पेस्ट एवं एनजाइम सोल्यूशन बनाने के तरीके बताये। बनी हुई इस जैविक खाद का उपयोग हम बागवानी के लिए कर सकते है जिस पर उन्नत किस्म के फल एवं सब्जियों का उत्पादन घर पर ही कर सकते है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने छोटे से घर/फ्लेट में भी इस तरीके को अपनाते हुए कचरे का प्रबंधन कर साथ ही आर्गेनिक फार्मिंग कर सकते है।
 भिलाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की पूर्व वैज्ञानिक श्रीमती पूर्णिमा सावरगांवकर ने आज कहा कि यदि कचरा उत्पन्न करना हमारी फितरत है तो इसका निपटान और प्रबंधन करना भी हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए। वे श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में ‘ट्रेंड्स इन सोशल वेस्ट मैनेजमेंट एंड बायोलॉजी : एप्रोच टू ए सिरीन वर्ल्ड’ पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को विशिष्ट अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के सूक्ष्मजीव विज्ञान, जंतु विज्ञान विभाग एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम. सूरज एवं सदस्य अजय चौधरी, आयोजकीय अतिथि आई पी मिश्रा चेयरमेन श्री गंगाजली शिक्षण समिति भिलाई, अध्यक्ष श्रीमती जया मिश्रा गंगाजली शिक्षण समिति भिलाई, महाविद्यालय की प्राचार्या/निदेशक डॉ. रक्षा सिंह, महाविद्यालय के अति. निदेशक डॉ. जे. दुर्गा. प्रसाद राव मंच पर आसीन थे।
वर्कशाप के तकनीकी सत्र में विद्यार्थियों ने उनके मार्ग दर्शन में स्वयं कंपोस्ट तैयार किया एवं अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। श्रीमती सावरगांवकर ने दो दिन में चार सत्रों में अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया एवं महाविद्यालय द्वारा संपन्न की जा रही गतिविधियां जैसे पौधे से स्वागत, नारियल पर मौली धागा से गणेश जी की प्रतिमा, पेपर बैच, एवं पर्यावरण अनुकूलनीय कार्यों की सराहना की।
महाविद्यालय की प्राचार्या/निदेशक डॉ. रक्षा सिंह ने तकनिकी सत्र को संबोधित करते हुए उन्हें घर पर ही नो वेस्ट मेनेजमैंट के तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया एवं कहा कि जनसाधारण को इस विषय पर गंभीरता से अमल करना चाहिए। वेस्ट मेनेजमेंट को बढ़ावा देते हुए हम घर से मोहल्ला, मोहल्ले से राज्य एवं देश का विकास कर सकते है।
महाविद्यालय के अति. निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कार्यक्रम की सररहना करते हुए विद्याथिर्यों को इस विषय पर आगे बढने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रीय कार्यशाला में तृतीय एवं चतुर्थ दिवस के कार्यक्रम में डॉ. दीपक भारती, डायरेक्टर-सेन्टर फार मालेक्यूलर बायोलॉजी भोपाल एवं रितुराज सिंह, रिसर्च ऐसोसिएट सेन्टर फार मालेक्यूलर बायोलॉजी भोपाल, पाचवे एवं छठवें दिन मशरूम कल्टिवेशन विशेषज्ञ दिनेश सिंह उपस्थित होंगे।
कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ. रचना चौधरी एवं संयोजक डॉ. सोनिया बजाज है एवं कार्यक्रम का संचालन सहा. प्राध्यापिका श्रीमती अर्चना सोनी कर रही है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक गण, कमर्चारीगण एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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