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म्यूजियम पीस नहीं बनना हो तो स्वयं को करते रहें अपडेट : श्रीलेखा

Dec 5, 2019

Boeing Museum seatle teaches the importance of upgrading भिलाई। शिक्षाविद श्रीलेखा विरुलकर ने युवाओं से कहा है कि यदि उन्हें म्यूजियम पीस नहीं बनना हो तो स्वयं को लगातार अपडेट करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवोन्मेष और आविष्कार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जो आज लेटेस्ट है वह कल आउटडेटेड हो जाता है। हाल ही में अमेरिका की यात्रा से लौटी श्रीलेखा ने सिएटल के म्यूजियम ऑफ़ फ्लाइट का जिक्र करते हुए कहा कि जिन विमानों में बैठकर इंसान पहली बार उड़ा वो सब आज अजायबघर में रखे हैं।Boeing Museumश्रीलेखा ने बताया कि यह म्यूजियम सिएटल के दक्षिण में टकविला स्थित किंग काउंटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (बोइंग फील्ड) के दक्षिण में स्थित है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख पर्यटक आते हैं। इसके अलावा प्रतिवर्ष लगभग 1.5 लाख बच्चे यहां एविएशन इंजीनियरिंग सीखने आते हैं। इस कहानी की शुरुआत पीएनएएच फाउण्डेशन से शुरू होती है जिसने एक बोइंग 80ए-1 को अलास्का में खोज निकाला था। इसे रिस्टोर किया गया। 1965 में इसे दर्शकों के लिए पेश किया गया। आगे चलकर बोइंग का पूरा इतिहास यहां दर्ज हो गया।
श्रीलेखा ने कहा कि यह एक विशाल परिसर है जहां चारों तरफ अलग अलग कालखण्ड और पीढ़ी के एयरक्राफ्ट रखे हैं। ये सभी विमान अपने अपने समय के सर्वश्रेष्ठ विमान थे। चूंकि ये मशीन हैं इसलिए इन्हें एक सीमा तक ही अपग्रेड किया जा सकता है। इसलिए जब बेहतर विमान बने तो ये इतिहास बन गए। पर इंसान चाहे तो खुद को जीवनभर अपग्रेड करता रह सकता है। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह भी इतिहास बन जाता है। ऐसे लोग केवल अपनी बीती जिन्दगी के किस्से सुनाते रह जाते हैं।
कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल की दुनिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब 4जी नेटवर्क आया तो इससे पहले के सारे मोबाइल फोन कचरे में तब्दील हो गए। कम्प्यूटर इतनी तेजी से अपग्रेड हुए कि पुराना कुछ भी काम का नहीं रहा। दस साल के छोटे से वक्त में सीआरटी मॉनीटर, बिजली के बल्ब इतिहास बन गए। इस तेजी से बदलती दुनिया में टिके रहने और सफल होने के लिए निरंतर सीखना जरूरी है।

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