दुर्ग। भूविज्ञान विषय में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। विद्यार्थियों को इस विषय के माध्यम से राजपत्रित अधिकारी के रूप में सीधे रोजगार प्राप्ति के अवसर मिलते हैं। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं भूगर्भशास्त्री डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने व्यक्त किये। डॉ श्रीवास्तव आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाईन आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे। ’’भूविज्ञान विषय का अध्ययन एवं रोजगार की संभावनाएं’’ विषय पर लगभग 500 से अधिक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि छत्तीसगढ़ जैसे खनिज प्रधान प्रदेश में भूवैज्ञानिक के लिए कार्य करने के अनेक अवसर हैं।डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव के अनुसार पृथ्वी से संबंधित यह विज्ञान खनिज, शैल, जीवाश्म, क्रिस्टल, भूजल, संरचना, इंजीनियरिंग आदि से सीधा संबंध रखता है। पूर्णतः फील्ड अध्ययन पर आधारित भूविज्ञान में खदानों के अध्ययन व खनिज की उपलब्धता का मुख्य रूप से अध्ययन किया जाता है। स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर 21 दिनों का अनिवार्य शैक्षणिक भ्रमण से विद्यार्थी अनेक सूक्ष्म जानकारियां प्राप्त करते हैं।
रोजगार के अवसर की चर्चा करते हुए डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि भूविज्ञान के विद्यार्थियों हेतु प्रतिवर्ष संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली भूविज्ञानी परीक्षा आयोजित करता है। इसमें चयनित होने वाले विद्यार्थी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई अथवा केंन्द्रीय भूमिगत जल बोर्ड में सीधे प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी की नौकरी प्राप्त करते हैं। इसके अलावा राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं, आईबीएम, बाल्को, नेल्को, ओएनजीसी, एमईसीएल, भाभा परमाणु, अनुसंधान केंन्द्र, सीजीकॉस्ट, मैपकॉस्ट, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड आदि अनेक संस्थाएं हैं जहां भूविज्ञान के विद्यार्थियों को सीधे रोजगार प्राप्त होते हैं। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि विद्यार्थी स्वरोजगार के रूप में भी भूवैज्ञानिक तथा जल भूविज्ञानी के रूप में अपनी जीविका चला सकते हैं।
इससे पूर्व व्याख्यान के आरंभ में साइंस कॉलेज दुर्ग के भूगर्भशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ एस डी देशमुख ने भूविज्ञान विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भूविज्ञान विभाग द्वारा विद्यार्थियों के हित में लगातार विषय विशेषज्ञों के आमंत्रित व्याख्यान कराये जा रहे हैं। विद्यार्थी इससे लाभान्वित होते हैं। डॉ श्रीवास्तव का व्याख्यान इसी श्रंखला में पांचवा व्याख्यान हैं। डॉ श्रीवास्तव के व्याख्यान के दौरान अनेक विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ देशमुख ने किया।