भिलाई। अस्थमा या दमा बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित करती है। बच्चों में यह स्वाभाविक विकास को प्रभावित कर सकती है। बच्चा खेलकूद से वंचित हो जाता है और उसका भोजन और नींद भी प्रभावित होती है। यदि इसका सही प्रबंधन न किया जाए तो यह घातक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इसके लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए और चिकित्सक की सलाह ली जाए। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने बताया कि अस्थमा आनुवांशिक हो सकता है। इसलिए माता-पिता या परिवार में अगर किसी को भी दमा हो तो बच्चे में दमा होने की संभावना बढ़ जाती है। ठंड में घूमना, धूल, धुआं या फूलों के परागकणों के कारण भी अस्थमा हो सकता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह खतरनाक साबित हो सकता है।