भिलाई। पैंक्रियाज पाचन तंत्र का एक जरूरी हिस्सा है. यह आमाशय के ठीक पीछे होता है. आमतौर पर पैंक्रियाज की सर्जरी ओपन की जाती है क्योंकि इस तक पहुंचना मुश्किल होता है. हाईटेक के कुशल सर्जन ने दूरबीन पद्धति से ही एक मरीज के स्यूडो पैंक्रियाटिक सिस्ट का इलाज कर दिया. इसके लिए उन्होंने आमाशय को भेद कर पैंक्रियाज तक पहुंचने का रास्ता बनाया. यह एक स्यूडो सिस्ट था जिसके अपने आप फट जाने पर मरीज की जान को खतरा हो जाता.
हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि 39 वर्षीय श्री देशमुख को पिछले काफी समय से पेट की तकलीफ थी. भोजन के बाद उन्हें पेट में दर्द होता था. एक बार में ज्यादा खा भी नहीं पाते थे. खाते ही उलटी लगने लगती थी. दरअसल, उनके पैंक्रियाज में एक 20 सेमी आकार का स्यूडोसिस्ट बन गया था. इसका आकार इतना बड़ा हो चुका था कि आमाशय पिचककर किनारे हो गया था.
डॉ शर्मा ने बताया कि ऐसे केसेस में सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि इस स्यूडोसिस्ट के भीतर का द्रव यदि पेट के अंदर रिस जाता तो रोगी के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता. स्यूडोसिस्ट की सतह आमाशय की बाहरी दीवारों से चिपकी हुई थीं. इसलिए फैसला लिया गया कि दूरबीन पद्धति से आमाशय के रास्ते ही सिस्ट तक पहुंचा जाए और उसे ड्रेन कर दिया जाए. यह एक जटिल प्रक्रिया थी जिसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया. सिस्ट से लगभग ढाई लिटर तरल को ड्रेन किया गया.
डॉ शर्मा ने बताया कि लैप्रोस्कोप सर्जरी के लिए पेट पर केवल तीन छिद्र बनाए गए जिसमें से दो पर एक-एक और एक पर दो टांके लगाए गए.