भिलाई। ये वो खेल हैं जिन्हें हम बचपन में खेलते रहे हैं। इन्हीं खेलों की वजह से आज भी हम सक्रिय और स्वस्थ हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों का जिसमें गिल्ली डंडा, गेडी, उधऊ पुक, तुए लंगरची, संखली, सुर पिटठुल, फुगड़ी, भौंरा आदि शामिल हैं। इन्हीं खेलों की एक प्रतियोगिता का आयोजन पाटन में हो रहा है जिसे नाम दिया गया है छत्तीसगढ़ी खेल महोत्सव या यूं कहें कि पाटन खेल मड़ई।