भिलाई। पेट के कीड़े मारने के लिए बाघ भी एक खास किस्म का घास खाता है। गर्मी से बचने के लिए ही रोएंदार पशुओं के बाल झड़ते हैं। प्रकृति के पास हर मर्ज की दवा है। जरूरत है केवल इन्हें ध्यान से देखने और अनुभव करने की। प्रकृति का अध्ययन कर हम अनेक रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं। बच्चों में इन गुणों का विकास करना अत्यंत आवश्यक है। उक्त उद्गार दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर नारायण पुरुषोत्तम दक्षिणकर ने चार दिवसीय प्रकृति अध्ययन गतिविधि कार्यशाला के उदघाटन अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। कार्यशाला का आयोजन हुडको स्थित डीएवी स्कूल प्रांगण में विज्ञान प्रसार एवं साइंस सेंटर द्वारा छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के सहयाग से किया गया है।