दुर्ग। महाविद्यालयों में बेस्ट प्रेक्टिसेस तथा रिसर्च, विस्तार गतिविधियां नैक मूल्यांकन के दौरान अच्छे ग्रेड प्राप्त करने में सहायक हैं। ये निष्कर्ष आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा ऑनलाईन रूप से आयोजित 5 दिवसीय कार्यशाला के चैथे दिन आमंत्रित वक्ताओं द्वारा किये गये संबोधन के पश्चात् निकल कर सामने आया। कार्यशाला के आरंभ में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ के महाविद्यालयों को दिसंबर 2022 से पूर्व नैक मूल्यांकित हो जाना आवश्यक है। इसी संदर्भ में उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग ने 5 दिवसीय कार्यशाला का ऑनलाईन रूप से आयोजित किया है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 94 महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन हुआ है।
प्रथम सत्र में शास. पी.जी कॉलेज बेमेतरा के अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. विकास पंचाक्षरी ने नैक के बिंदु क्रमांक 7 बेस्ट प्रेक्टिसेस तथा इंस्टीटूशनल सोशल रिस्पोंसिबिलिटी पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री पंचाक्षरी ने बताया कि प्रत्येक महाविद्यालय की बेस्ट प्रेक्टिसेस पृथक हो सकती है। महाविद्यालय इसे प्रजातांत्रिक तरीके से विचार विमर्श कर अपनी बेस्ट प्रेक्टिसेस चयनित कर सकते हैं। श्रीपंचाक्षरी ने महाविद्यालयों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग, ग्रीनऑडिट, ऊर्जा ऑडिट, पर्यावरण ऑडिट की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. पंचाक्षरी से अनेक प्रतिभागियों ने प्रश्न भी पूछे जिसका श्रीपंचाक्षरी ने समाधान किया।
द्वितीय सत्र में शास. नागार्जुन साइंस कॉलेज रायपुर की प्राध्यापक डॉ. अंजली अवधिया ने नैक के बिंदु क्रमांक 3 रिसर्च, प्रमोशन व विस्तार गतिविधियां की जानकारी पावरपाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से दी। डॉ अवधिया ने रिसर्च के महत्व व महाविद्यालयों में उपयोगिता का विश्लेषण किया। एनएसएस, एनसीसी, रेडक्रास तथा अन्य इकाइयों द्वारा आयोजित की जाने वाली विस्तार गतिविधियों की आवश्यकता व उसकी उपादेयता का भी डॉ. अवधिया ने उल्लेख किया। डॉ. अवधिया के व्याख्यान ने सभी की सराहना की।
दुर्ग विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने अपने संबोधन में कहा कि महाविद्यालयों में सभी संकायों में शोध कार्यों को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। डॉ. पल्टा ने डॉ. पंचाक्षरी व डॉ. अंजनी अवधिया के व्याख्यानों की सराहना की। आज लगभग 300 प्राचार्य, आईक्यूएसी समन्वयक तथा नैक समन्वयक ऑनलाइन उपस्थित थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने किया। कार्यशाला के अंतिम दिन 14 अप्रैल को साइंस कॉलेज, दुर्ग की प्राध्यापक डॉ. जगजीत कौर सलूजा नैक के चतुर्थ बिंदु इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा लर्निग रिसोर्सेज पर अपने विचार रखेंगी।