भिलाई। बिजली की गैर पारम्परिक ऊर्जा के उपयोग से पहले यह जानना बेहद जरूरी होता है कि हमें कितनी बिजली, कब मिलेगी। इसका पता लगाने का एक आसान सा तरीका रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (आरसीईटी) की प्रोफेसर डॉ रीजो रॉय ने निकाला है। उन्होंने विंड और सोलर एनर्जी का 8600 घंटों का डेटा एनालाइज कर इसका हल खोज निकाला है।डॉ रॉय ने बताया कि प्रदेश सहित देश भर में जल्द ही बड़े पैमाने पर सोलर प्लांट स्थापित होंगे। घरों से लेकर खेतों तक बिजली की आपूर्ति इसी से होगी। ऐसे में इंडस्ट्रीज से लेकर आम लोगों को यह पता लगाना होगा कि उन्हें छत पर लगे सोलर पैनल से कितनी बिजली कब मिलेगी। उन्होंने 10 साल के 8600 घंटों का विंड और सोलर एनर्जी डाटा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम में डालकर ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है, जो पवन और सोलर एनर्जी से मिलने वाली बिजली की सटीक भविष्यवाणी करेगा।
डॉ राय ने बताया कि इंडस्ट्री और आम लोग यह भी जान पाएंगे कि किस मौसम में सोलर पैनल से कितनी बिजली बनकर मिलेगी। इसी तरह से अगले घंटे में बनने वाली बिजली का भी पूरा हिसाब पहले से मापा जा सकेगा। विंड एंड सोलर एनर्जी के लिए सिस्टम जनरेशन शेड्यूलिंग के काम में लिया जा सकेगा। इसकी मदद से इंडस्ट्री और आम लोग बिजली बिल के भारी भरकम बोझ से बच पाएंगे। इंडस्ट्री जरूरत के लिए बिजली का उपयोग करने के बाद उसे बिजली कंपनी को बेच भी पाएंगी।
डॉ. रिजो रॉय को हाल ही में रायसेन, भोपाल के रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने पीएचडी उपाधि से नवाजा है। उनकी इस रिसर्च में भेल, भोपाल के रिटायर्ड जनरल मैनेजर डॉ. शंभु रतन अवस्थी का सहयोग बतौर गाइड मिला है।