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अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर निबंध प्रतियोगिता

Oct 7, 2021
Essay competition on International Teachers Day

भिलाई। 5 अक्टूबर 1994 को शिक्षक दिवस मनाने का निर्णय लिया गया तब से इस दिन अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के शिक्षा व कला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ”गुरु की महत्ता“ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. शैलजा पवार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस से हम सीखते है कि शिक्षक पथ प्रदर्शक होता है, शिक्षक हमें ज्ञान देता है, जिससे हम सही और गलत का निर्णय कर पाते है। शिक्षक देश व समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षक विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास कर उसे देश हित में कार्य करने के लिये प्रेरित करता है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने कहा शिक्षक दिवस मतलब शिक्षकों का दिन, यही वह दिन है जब हर जगह विद्यार्थी अपने गुरु के प्रति आदर प्रकट करता है उसे वह सम्मान देता है, जिसका वह हकदार है अतः आज के युवा पीढ़ी अपने गुरु के प्रति समर्पित रहे गुरु उन्हें सच्ची राह दिखाते है उनका मार्गदर्शन कर उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करते है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि जो विद्यार्थी अपने जीवन में शिक्षक का आदर नहीं करता वह अपनी शिक्षा के महत्ता एवं ज्ञान से अनजान रहता है।
महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉ. अजरा हुसैन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन टीचिंग इन फ्रीडम संधि पर हस्ताक्षर किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर शिक्षा व कला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ”गुरु की महत्ता“ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें दोनों विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता दी। निर्णायक के रुप में डॉ. दुर्गावती मिश्रा एवं डॉ. पूनम निकुंभ एवं समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन डॉ. शैलजा पवार ने किया।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता श्याम संुदर एम.एड. तृतीय सेमेस्टर ने गुरु की महत्ता पर लिखा कि गुरु एक दीपक के समान होता है जो स्वयं प्रकाशित होकर दूसरों को भी प्रकाशित करता है। द्वितीय स्थान प्राप्तकर्ता प्रतीक मिश्रा बी.ए. प्रथम वर्ष ने अपने अभिव्यक्ति में लिखा कि गुरु एक कुम्हार की तरह होता है जो कच्ची मिटटी को नया आकार प्रदान करता है अर्थात् अपने विद्यार्थियों को अपने ज्ञान से नवसृजन करना सिखाता है। उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभाओं को बाहर निकालने का प्रयास करता है। तृतीय स्थान प्राप्तकर्ता यतीश सिंह ठाकुर बी.ए. प्रथम वर्ष ने कहा कि गुरु हमेशा अपने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन एवं सच्चा राह दिखाते है और उसे लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करते है। कार्यक्रम का परिणाम निम्न प्रकार है- प्रथम स्थान- श्याम सुंदर – एम.एड.-तृतीय सेमेस्टर, द्वितीय स्थान- प्रतीक मिश्रा – बी.ए. प्रथम वर्ष, तृतीय स्थान- यतीश सिंह ठाकुर – बी.ए. प्रथम वर्ष।

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