भिलाई। जब तक आप सच्चाई के साथ हैं, तब तक आपको कुछ भी याद रखने की या टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। दिक्कत तब होती है जब हम प्रोटोकॉल तोड़ते हैं, गलत तरीके से कुछ हासिल करने की कोशिश करते हैं या झूठ का सहारा ले रहे होते हैं। यह बातें प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक तथा सिम्हांस देवादा के प्रमुख डॉ प्रमोद गुप्ता ने आज कहीं। वे सशस्त्र सीमा बल द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
आरंभ में एसएसबी के डीआईजी स्पेशल आपरेशंस सुधीर कुमार ने कहा कि दो ही प्रकार के लोग परिवार से कटे रहते हैं। इनमें से एक हैं संत जो स्वेच्छा से परिवार का त्याग करते हैं तथा दूसरे होते हैं सैनिक। सैनिक को अपने कर्त्तव्य के निर्वहन के लिए परिवार का त्याग करना पड़ता है। वह महीनों अपने घर से दूर रहता है और पीछे उसकी पत्नी और बच्चे मानसिक अलगाव का शिकार हो जाते हैं। दोनों ही अवसाद का शिकार हो सकते हैं। उन्होंने मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे कोई ऐसा रास्ता निकालें कि इन्हें अवसाद में जाने से रोका जा सके।
इस अवसर पर एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के विद्यार्थियों ने पूरे देश की लोक संस्कृति को एक सूत्र में पिरोकर नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया। साथ ही एक नाटक के माध्यम से कोविड काल की दुश्वारियों को रेखांकित किया। नाटक में यह दर्शाया गया कि किस तरह अमीर, मध्यमवर्ग एवं गरीबों ने अलग अलग तरह की समस्याओं का सामना इस दौर में किया और मानसिक अवसाद का शिकार हो गए। बच्चों ने अवसाद के लक्षणों को पहचानने और ऐसी स्थिति में परिवार के कर्त्तव्य को भी रेखांकित किया। इस दल का नेतृत्व एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की उप प्राचार्य सिजी थॉमस कर रही थीं।
समारोह को मनोसलाहकार डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ आभा शशिकुमार, एडवोकेट गौरी चक्रवर्ती ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर एसएसबी की लगभग सभी अधिकारी एवं स्टाफ उपस्थित रहा।