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ऑनलाइन एजुकेशन को सुदृढ़ करने प्रयास जरूरी – डॉ अरुणा पल्टा

Feb 1, 2022
National Webinar on online Education at MJ College

भिलाई। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने आज कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन भले ही आपाताकालीन विकल्प के रूप में उभरी हो किन्तु इसमें टीचिंग लर्निंग प्रोसेस का एक मजबूत हिस्सा बनने की क्षमता है। इसका दोहन किया जाना चाहिए। पर इसके लिए पहले इसे और मजबूत और सुदृढ़ करने की जरूरत होगी जिसमें सबकी सहभागिता अपेक्षित है।
डॉ पल्टा एमजे कालेज द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। आरंभ में महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने सभी आमंत्रित वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण को लेकर काफी मंथन हुआ है तथा हम पिछले दो वर्षों में इसका उपयोग करने में सक्षम भी हुए हैं। इस दिशा में सुविज्ञ वक्ताओं का मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए इस वेबीनार का आयोजन किया गया है।
विषय प्रवेश कराते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण में अधोसंरचना और संसाधन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने बड़ी संख्या में ऑनलाइन कंटेन्ट तैयार किया है। ऑनलाइन रिसोर्सेस का उपयोग भी बढ़ा है। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण के तकनीकी पक्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि हालांकि ऑनलाइन शिक्षण कोरोना महामारी के कारण एकमात्र विकल्प के रूप में उभरा है किन्तु अब यह शिक्षण पद्धति का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। उन्होंने शिक्षा महाविद्यालयों का आह्वान किया कि वे बीएड के विद्यार्थियों को पेडागॉजी के तहत इसके विषय में अवश्य बताएं ताकि वे आगे चलकर इसका लाभ विद्यार्थियों को देने के साथ ही स्वयं भी उठा सकें।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण इस मायने में अच्छा है कि इसमें शिक्षक का समय नष्ट नहीं होता और पाठ्यक्रम को समय पर खत्म करने में मदद मिलती है। पर इसका दूसरा पहलू यह है कि विद्यार्थी स्कूल कालेज में होने वाले सामाजिक संपर्क से वंचित रह जाता है। इसका असर उसके व्यक्तितत्व विकास पर पड़ता है। उसके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत कहते हुए उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए जीवन में चुनौतियों का होना जरूरी है।
छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण को शासन ने गंभीरता से लिया है। विभिन्न विषयों के लिए अलग अलग ऑनलाइन पोर्टल तैयार किये गये हैं जहां स्तरीय शिक्षण सामग्री उपलब्ध है। पर संसाधन के अभाव में बड़ी संख्या में विद्यार्थी इससे वंचित हो रहे हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। पीडीएफ एवं वीडिया लेकचर्स के द्वारा उन्हें लाभान्वित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण का एक पहलू यह भी है कि इससे विद्यार्थी एवं शिक्षक दोनों का तकनीकी उन्नयन हुआ है। इस लिहाज से देखें तो कौशल विकास की उपयोगिता बढ़ी है। उन्होंने ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षाओं पर भी चर्चा की।
हेमचन्द विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण ने शिक्षकों को अपनी गुणवत्ता बढ़ाने का भी मौका दिया। उन्होंने स्वयं भी देश विदेश से कई सर्टिफिकेट कोर्सेस किये तथा अपनी क्षमता का उन्नयन किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण के गुण दोषों में उलझने की बजाय यदि हम इसके गुणों पर ही ध्यान दें तो दोष समय के साथ अपने आप कम होते चले जाएंगे। यदि इस व्यवस्था का लाभ हम 50 फीसद बच्चों तक भी पहुंचा सके तो इसे संतोषजनक माना जाएगा।
एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च, इंदौर, मध्यप्रदेश के प्राचार्य डॉ मनीष मित्तल ने ऑनलाइन के गुण-दोषों की बिन्दुवार चर्चा की। इस पद्धति के लाभ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बेहद सुविधाजनक है जिसे कहीं से भी कभी भी जुड़ा जा सकता है। लागत की दृष्टि से भी यह सस्ता है। व्यक्ति अपनी रफ्तार से इसका लाभ ले सकता है। इससे तकनीकी ज्ञान भी बढ़ता है। ऑनलाइन बेशुमार कोर्सेस का रास्ता खुलता है। जो लोग क्लास में सवाल पूछने से हिचकिचाते हैं वे भी यहां चैट बाक्स की मदद से अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं।
शासकीय नवीन महाविद्यालय बोरी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ तापस मुखर्जी ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण को भले ही हमने आपात स्थिति में एक विकल्प के रूप में अपनाया हो किन्तु यह अब स्थायी रूप से रहने के लिए आ गया है। इसलिए हमें इसके पोषण और संवर्धन पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। उन्होंने बाइजुस की विकास यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया का गहराई से अध्ययन करें। विद्यार्थी केन्द्रित प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ज्ञान और उसकी प्रदायगी की जुगलबंदी है। जुगलबंदी हमेशा बेहतर होती है।
एसएस खन्ना गर्ल्स डिग्री कालेज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रितु जायसवाल ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ा है। विद्यार्थी न केवल पहले के मुकाबले आलसी हुए हैं बल्कि अधिकांश बच्चे ऑनलाइन परीक्षा और प्रमोशन से ही खुश हैं। इस भाव को स्थायी नहीं होने दिया जा सकता। स्कूल कालेज बंद होने के कारण उनका सामाजिक संपर्क भी प्रभावित हुआ है।
इंदिरा गांधी शासकीय कन्या महाविद्यालय, वैशाली नगर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिखा श्रीवास्तव ने शिक्षकों पर ही अपने वक्तव्य को केन्द्रित रखा। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा मौका था जब शिक्षकों ने स्वयं अपनी क्षमता बढ़ाने पर काम किया। उन्होंने स्वयं भी एक विदेशी संस्था से आनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स किया। उन्होंने कहा कि कुछ विषयों में ऑनलाइन शिक्षण वरदान साबित हुआ है। उनके स्वयं के विषय प्राणीविज्ञान में पहले जहां वे बोर्ड पर चाक से स्केच बनाकर अथवा प्रयोगाशाला में रखे 20 साल पुराने स्पेसिमेन दिखाकर काम चलाया करती थीं वहीं अब वे उन्होंने ऑनलाइन वास्तविक तस्वीरें और वीडियो दिखा पा रही हैं। यह विद्यार्थियों के लिए एक अच्छा अनुभव रहा है।
कार्यशाला का संचालन आईक्यूएसी प्रभारी अर्चना त्रिपाठी एवं सहायक प्राध्यापक ममता एस राहुल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने किया।

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