भिलाई। आने वाले कुछ ही वर्षों में ई प्रक्रिया के जरिए लेखाकर्म की पूरी दुनिया बदलने वाली है। ई-इनवायसिंग, ई फाइलिंग, ई-अकाउंटिंग और पे-रोल डेटा शेयरिंग जैसे उपायों से लगभग सभी लेनदेन का डेटा सरकार के पास होगा। आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की मदद से सरकार खुद ही बैलेंस शीट बना लेगी। इससे चार्टर्ड अकाउन्टेंट्स की भूमिका भी बदल जाएगी।
उक्त बातें आज वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए सुरेश कोठारी ने आईसीएआई भवन में व्यक्त किये। सीए कोठारी सीआरआरसी की भिलाई शाखा द्वारा भारत में आयकर के भविष्य पर आयोजित व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे। वे दुर्ग टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। वैद्यनाथन अय्यर स्मृति व्याख्यान माला की इस कड़ी का आयोजन टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता एवं कर नीति के परिप्रेक्ष्य में आयोजित की गई थी।
सीए सुरेश कोठारी ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के लागू होने के बाद सभी प्रकार का डेटा सरकार के पास होगा। सरकार खुद आपकी बैलेंस शीट बनाकर आपको भेजने की स्थिति में होगी जिसका स्पष्टीकरण एक निर्धारित समय में देना होगा। इसमें सीए की बड़ी भूमिका हो सकती है।
उन्होंने बताया कि टैक्स सिस्टम में भी ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी को एडॉप्ट कर लिया गया है। इसमें एक बार जो डेटा आया वह फ्रीज हो जाएगा, उसे बदला नहीं जा सकेगा। एनालिटिकसल सॉफ्टवेयर के साथ ही आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का भी व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट इन्साइट की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इससे उन लोगों को आयकर के दायरे में लाया जा सकेगा जो लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं या निवेश कर रहे हैं पर कर दाता नहीं हैं। 2016-17 में शासन ने ट्रायल बेसिस पर ऐसे 67.5 लाख लोगों की पहचान की थी जो टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते पर जिनका आय-व्यय टैक्स के दायरे में आता है। पिछले वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि केवल 1.46 करोड़ लोगों ने ही आयकर दिया था। सरकार का लक्ष्य कम से कम 10 फीसदी लोगों (लगभग 14 करोड़ लोगों) को कर के दायरे में लाने का है।
उन्होंने बताया कि कृषि से होने वाली आय का जो ब्यौरा हम भरते हैं, वह देश की सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। सरकार की मंशा ऐसे किसानों को कर के दायरे में लाने की है जिनके परिवार के पास 50 एकड़ से अधिक कृषि भूमि है। सभी संपत्तियों को आधार से लिंक किया जा रहा है ताकि बेनामी संपत्ति की समस्या से निजात मिले।
उन्होंने कहा कि सरकार कर नीति में स्थिरता लाने के भी प्रयास कर रही है। टैक्स स्लैब और टैक्स पॉलिसी में हर साल होने वाले परिवर्तन से सभी स्टेक होल्डर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब टैक्स पॉलिसी लगभग स्थाई होने जा रही है। इसका लाभ दीर्घकालीन योजना बनाने में मिलेगा। इसी तरह तत्काल ई-पैन हासिल कर टैक्स जमा किया जा सकता है। इसके अलावा स्थायी संपत्ति से होने वाली आय को भी इसके दायरे में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ई-सिस्टम का फायदा यह हुआ है कि अब अधिकांश रिटर्न 15 मिनट में या उससे भी कम समय में प्रोसेस हो जा रहे हैं। रिफण्ड्स भी काफी तेजी से हो रहे हैं।
सीआईआरसी भिलाई शाखा के कोषाध्यक्ष सीए अंकेश सिन्हा ने इस अवसर पर सीए सदस्यों के लिए उपलब्ध सेवाओं एवं सुविधाओं का उल्लेख किया। कार्यक्रम का संचालन सीए मोहित काबरा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सचिव सीए सूरज सोनी ने किया।