राजनांदगांव। विश्व कविता दिवस के अवसर पर 21 मार्च को कान्फ्लूऐंस कालेज ऑफ हायर एजुकेशन राजनांदगांव में कविता पाठ का आयोजन महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा किया गया। महाविद्यालय के डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि कविता को मानवीय संस्कृतियों और भाषाओं की सबसे मूल्यवान संपत्ति माना जाता हैं। यह सांस्कृतिक मतभेदों को दूर करने और समुदायों को करीब लाने में अहम भूमिका निभाती है।
कार्यक्रम प्रभारी घनेश्वरी साहू सहा.प्राध्यापक ने जीवन एक संघर्ष स्व-रचित कविता का पाठ करते हुए कहा कि कविता साहित्य का एक रूप है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से ही मानवीय परिस्थितियों, इच्छा, संस्कृति, पीडा आदि को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता व्यक्तिगत अनुभवों को व्यक्त करने और दूसरों को लयबद्ध तरीके से प्रेरित करने में मदद करती है। कविता सभ्यता और संस्कृति के बीच एक सेतु के रूप में काम करके सांस्कृतिक अंतर को कम करती है।
प्राचार्य डॉ. रचना पाण्डेय ने कहा कि उत्सव का उद्देश्य काव्य संस्कृति को पुनर्जीवित करना, रचनात्मक गतिविधियों से परिचित होना और सामान्य रूप से कविता विकसित करना है। विश्व कविता दिवस एक एैसा अवसर है, जहां पर कवि न केवल अपनी भाषा की भव्यता से लोगों को परिचय कराता है, बल्कि अपनी कविता की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है।
इस कार्यक्रम के निर्णायक गण विजय मानिकपुरी एवं मंजूलता साहू रहे। विजय मानिकपुरी द्वारा स्वरचित कविता का पाठ किया गया। प्रथम नागेश पटेल द्वारा कविता प्रस्तुत हुई ‘‘असंख्य हूं अनेक मैं विरात्व तलवार हूं मैं भोले का धीर अंधकार हूं” द्वितीय सुमन साहू द्वारा प्रस्तुत कविता ‘‘एक दायरे से बाहर कभी उड़ान नहीं होती और जितना सोचते है हम लड़कियों की जिंदगी उतनी आसान नही होती’’। तृतीय प्रतिमा एवं जिज्ञासा द्वारा प्रस्तुत कविता ‘‘मैं दुश्मन से नही डरता भारत का जवान हूँ’’ एवं ‘‘चुप कर तू रो नहीं सकती तेरे आँसु बहुत कीमती है, तू इन्हें व्यर्थ खो नहीं सकती’’ रही।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष (शिक्षा विभाग) प्राध्यापक प्रीति इन्दोरकर, गौतमा रामटेके तथा राधेलाल देवांगन सहा-प्राध्यापक सहित सभी प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।