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स्वरूपानंद में जल संरक्षण पर पन्द्रह दिवसीय कोर्स

Jul 13, 2022
Water Conservation webinar at SSSSMV

भिलाई। स्वरूपानंद महाविद्यालय के सूक्ष्मविज्ञान विभाग द्वारा ‘‘फिजिको कैमिकल एंड माइक्रोबॉयलाजिकल एनालिसिस ऑफ वॉटर’’ विषय पर पन्द्रह दिवसीय वैल्यु एडेड कोर्स का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ.ए.एम.देशमुख, अध्यक्ष, माइक्रोबॉयलाजिस्ट सोसाइटी, भारत, मुख्य अतिथि डॉ. ए.के.श्रीवास्तव, राज्य अध्यक्ष माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट सोसाइटी भारत एवं मुख्य वक्ता श्री विपिन दुबे, हाइड्रोजीयो साइंटिस्ट एवं रेन वॉटर हार्वेस्ंिटग कंसलटेंट थे।
कार्यक्रम संयोजिका माइक्रोबॉयोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. शमा ए बैग ने कहा कि इस कोर्स में भौतिक एवं सूक्ष्मजैविक जल विश्लेषण के सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक दोनों की जानकारी दी जायेगी। सैद्धांतिक जानकारी ऑनलाईन मोड में देश के अतिथि वक्ताओं द्वारा दी जायेगी, प्रायोगिक जानकारी महाविद्यालय की प्रयोगशाला में दी जायेगी।
प्राचार्य डॉ.हंसा शुक्ला ने कहा कि जल अमूल्य है, पृथ्वी पर एक तिहाई जल होने के बाद भी स्वच्छ जल की कमी है। जल की स्वच्छता को परखने की विधि दैनिक जीवन के लिये भी लाभकारी है। प्रशिक्षण लेकर छात्र पानी की मॉनिटरिंग, प्रबंधन और निगरानी जैसे कार्य में प्रशिक्षित होंगे और भविष्य में इससे रोजगार प्राप्त कर सकेगें ।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.दीपक शर्मा ने कहा पानी में दो तरह की अशुद्धिया होती है – घुलनशील एवं अघुलनशील जो कैमिकल और बायलॉजिकल होती हैं। देश में 17 करोड लोग ऐसे है जिन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिलता एवं यह संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं । इस तरह के कार्यक्रम से हम लोगों के बीच पानी की गुणवत्ता एवं महत्ता के प्रति जागरूकता उत्पन्न करें।
विशिष्ट अतिथि डॉ.ए.एम.देशमुख ने बताया कि पानी ही जीवन है और सार्वजजिक स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल आवश्यक है बरसात में पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित होता है। आज जल स्तर कम हो रहा है। इस कार्यक्रम से छात्रों एवं समाज को जल संरक्षण की एक नई दिशा मिलेगी और लोग पानी की महत्ता को समझेगें ।
मुख्य अतिथि डॉ.ए.के.श्रीवास्तव ने कहा कि पानी प्रकृति के बुनियादी घटकों में से एक है। स्वच्छ और स्वस्थ पानी, जो जहरीले रसायनों एवं कीटाणुओं से मुक्त हो और जिसमें संतुलित मात्रा में आवश्यक मिनरलस हो ऐसे पानी के उपयोग से हम बहुत से बीमारियों से निजात पा सकते है। इस कार्यशाला के माध्यम से छात्र विभिन्न स्थानों के पानी में पाये जाने वाले यौगिकों को समझ पायेगें तथा वहॉ के रहवासिायेां को स्वच्छ पानी के उपयोग के लिए जागृत कर सकते है अतः इस सर्टिफिकेट कोर्से से छात्रों के साथ समाज भी लाभांन्वित होगा।
मुख्य वक्ता विपिन दूबे ने विभिन्न प्रकार के जल, जल की गुणवत्ता पर रोशनी डालते हुये बताया कि जल एक साधारण पदार्थ नहीं हैं। इतिहास में पहले बस्तियों हमेशा पानी के किनारे रही है। जल वह संपत्ति है जो प्रकृति को जीवन देती हैं नदी, झीलं, तालाब, पोखरं, कुऑ, झरना, समुद्र एवं बारिश पानी के विभिन्न स्त्रोंत है। पानी में लगभग 21 से अधिक खनिज लवण पाये जाते है। पानी का जल स्तर गिरनें का मुख्य कारण जनसंख्या में वृद्धि, कांनक्रीट की सड़के शहरों का जंगल की तरह बढ़ना एवं उद्योगों का अत्यधिक विस्तार हैं। पानी को बचाने हेतु उन्होंने पांच आर बताया जो निम्न है – रिड्यूस , रियूस, रिसाइकल, रिचार्ज एवं रेस्पेक्ट। छात्रों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि जल परीक्षण में रोजगार के अत्यधिक अवसर उपलब्ध है समाज सेवा के साथ पुरस्कार एवं पैसा दोनों इससे प्राप्त हो सकता हैं।
कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालय के छात्रों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। जिसमें गुजरात एवं कॉकेर के महाविद्यालय के छात्र भी शामिल हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा.अमित कुमार साहू, स.प्रा. जमुना प्रसाद साहू कम्प्यूटर विभाग एंव योगिता लोखंडे का महत्तवपूर्ण योगदान रहा। मंच संचालन सुश्री योगिता लोखंडे स.प्रा. सूक्ष्म जीव विज्ञान ने किया।

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