भिलाई। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती के अवसर पर आज एमजे कालेज में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुंशीजी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की गई। प्राचार्य ने इस अवसर पर नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति रुचि को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि साहित्य के प्रति अरुचि समकालीन साहित्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
प्राचार्य डॉ अनिल चौबे ने कहा कि मुंशी जी का जीवन अभावों में गुजरा। पढ़ने की तीव्र इच्छा होने के बावजूद उनकी शिक्षा किस्तों में हुई। गोरखपुर में महात्मा गांधी के आह्वान पर वे असहयोग आंदोलन से जुड़े और सरकारी नौकरी छोड़ दी। यह न केवल उनके चारित्रिक बल का द्योतक है बल्कि देश को स्व से ऊपर देखने की उनकी महानता को भी दर्शाता है। उन्होंने बच्चों में साहित्य के प्रति रुचि जगाने में शिक्षा संकाय के महत्व को भी रेखांकित किया।
शिक्षा संकाय की एचओडी एवं आईक्यूएसी प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की बहुत सी कहानियां कालजयी हुई हैं। लोगों को इनके नाम तक याद हैं। पर आज की आपाधापी की जिन्दगी में साहित्य के लिए वक्त निकालना कठिन से कठिनतर होता जा रहा है।
हिन्दी की सहायक प्राध्यापक अर्चना त्रिपाठी ने कहा कि आज का युवा उस काल से स्वयं को जोड़ नहीं पा रहा है। वहीं शकुंतला जलकारे ने कहा कि प्रेमचंद ने हमेशा रूढ़ीवादिता का विरोध किया और समाज में पनप रही विकृतियों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया। आराधना तिवारी ने कहा कि माता-पिता यदि साहित्य से कटे रहेंगे तो बच्चे भी उससे कभी नहीं जुड़ पाएंगे। वहीं डॉ जेपी कन्नौजे, डॉ मंजू साहू, नेहा महाजन, ममता एस राहुल, परविन्दर कौर ने अनेक उदाहरण देते हुए कहा कि प्रेमचंद की कहानियां इंसान और इंसानियत के इर्दगिर्द घूमती थीं और घटनाओं की सूक्ष्म विवेचना करती थीं।
ग्रंथपाल प्रकाश साहू ने महाविद्यालय के ग्रंथागार में उपलब्ध हिन्दी साहित्य की जानकारी देते हुए कहा कि इनमें से बहुत कम पुस्तकें कभी किसी ने ली हैं।
इस अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बीसीए के छात्र अमित प्रसाद की कविता का श्रेष्ठ चुना गया। उन्होंने अपनी बहन रूपा द्वारा लिखित आधुनिक कविता का पाठ किया।