भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में 23 अगस्त 2022 को ’’राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं पर्यावरणीय मुद्दे’’ विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन वर्चुअल मोड पर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. आलोक कुमार चक्रवाल (उप-कुलपति गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर छ.ग) , स्निग्धा त्रिपाठी (शैक्षणिक अनुसंधान कर्मी, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय उ.प्र.), डॉ रक्षा सिंह (प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातिय विश्वविद्यालय अमरकंटक म.प्र.) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से किया गया तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। महाविद्यालय की विकास यात्रा एवं उपलब्धियों के विषय में डॉ. सुषमा दुबे ने जानकारी प्रदान की एवं बताया कि महाविद्यालय को नैक द्वारा ए ग्रेड प्रदान करने, छत्तीसगढ़ के सभी निजी महाविद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त करने एवं विभिन्न अवार्ड प्राप्त करने, विभिन्न विषयों के शोध केन्द्र, पेपर पब्लिकेशन, प्रतिलिपी अधिकार के संबंध में अवगत कराया।
महाविद्यालय के उप-प्राचार्य डॉ. अर्चना झा ने स्वागत भाषण में वेबीनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उसके महत्व के बारे में जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं बीज वक्ता डॉ. आलोक कुमार चक्रवाल ने एकेडमिक बैंक आफॅ क्रेडिट विषय पर जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय को इसमें पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद वहां पढ़ने वाले हर छात्र का डेटा वर्चुअल स्टोर होना शुरू हो जायेगा यदि कोई छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते है। तो उसके समय के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री दी जायेगी प्रथम वर्ष पास करने पर सर्टिफिकेट, द्वितीय वर्ष पास करने पर डिप्लोमा और तीन साल या पूरा कोर्स करने पर डिग्री दी जायेगी। यह कमर्शियल बैक की ही तरह कार्य करेगा। छात्र इसके ग्राहक होंगें इस योजना का लाभ किसी भी संस्था का छात्र उठा सकता है। उन्हें सिर्फ इस संस्थान में स्किम के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया नई शिक्षा नीति को लचीला बनाने के लिए की गई है। इससे छात्रों के पास बहुप्रवेश एवं निकास विकल्प रहेगा। इस प्रकार छात्रों के पास डिग्री प्राप्त करने के लिए सात वर्ष का समय रहेगा।
वेबीनार की प्रमुख वक्ता स्निग्धा त्रिपाठी ने पर्यावरण के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि लोगो को इस संदर्भ में जागरूक करने की आज भी आवश्यकता है उनमें अभिवृत्ति का विकास करना, कौशल का विकास करना एवं इसे सामान्य जीवन में उपयोग करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत रहने एवं प्रदूषण को रोकने में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
मुख्य वक्ता डॉ. रक्षा सिंह ने कार्यक्रम का समापन अभ्युक्ति करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लचीली पाठ्यक्रम से छात्र लाभान्वित तो होंगे ही वे अपने पसंद का विषय चुनने का भी अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पौधा रोपण के साथ उसे संरक्षण भी प्रदान करना है प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना है, वेस्ट मटेरियल का सही उपयोग करना चाहिए। उन्होंने जीवन जीने की कला के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि हमें भूतकाल से वर्तमान को जोड़ते हुए जीवन जीना चाहिए।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने वेबीनार के विषय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हमारे जीवन में शिक्षा और पर्यावरण दोनो की ही आवश्यकता है दोनो के साथ ही सही ताल-मेल हमारे जीवन और व्यक्तित्व को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
कार्यक्रम में डॉ. व्ही के. सिंह, डॉ. वंदना सिंह एवं कंचन सिन्हा ने अतिथियों का परिचय दिया एवं र्कायक्रम का संचालन डॉ. सुषमा दुबे ने किया एवं आभार प्रदर्शन संदीप जसवंत ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय (अरूणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, गोवा, चेन्नई, कोलकाता और आंद्रप्रदेश) एवं अन्तराष्ट्रीय (पेरू, सउदी अरब) स्तर पर पंजीयन कराया एवं लगभग 200 लोग वर्चुअल मोड पर जुडे़ रहें।