दुर्ग. शासकीय डाॅ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा सेक्टर स्तरीय अन्तर महाविद्यालयीन बास्केटबाॅल का आयोजन बी.आई.टी. बास्केटबाॅल मैदान में किया गया. उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर हो रही इस प्रतियोगिता में देव संस्कृति महाविद्यालय खपरी दुर्ग तथा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग फाइनल में पहुंच गए हैं. स्वामी स्वरूपानंद महाविद्यालय हुडको दुर्ग एवं रतन चंद सुराना महाविद्यालय सेमीफाइनल तक पहुंचे.
प्रतियोगिता का उद्घाटन डाॅ. दिनेश नामदेव, अध्यक्षा डाॅ. ऋचा ठाकुर ने किया पर्यवेक्षक डाॅ. कैलाश वर्मा उपस्थित थे. डाॅ. नामदेव ने कहा कि कभी हार नहीं मानना चाहिये. सतत् प्रयासरत रहना चाहिए. डाॅ. ऋचा ठाकुर ने कहा कि अच्छे खेल के साथ अच्छे व्यक्तित्व के धनी भी बनिये और साथ-साथ पढ़ाई भी करियेगा. प्रतियोगिता में कुल 8 टीमों के लगभग 75 खिलाड़ी ने हिस्सा लिया, कुछ खिलाड़ी चयन-स्पर्धा हेतु उपस्थित हुये. प्रतियोगिता नाॅक आउट पद्धति से खेली गया.
प्रतियोगिता नाॅक आउट पद्धति से खेला गया, प्रतियोगिता का प्रथम मैच शासकीय कन्या महाविद्यालय, दुर्ग ने मनसा महाविद्यालय, कुरुद को 53-0 से परास्त किया. द्वितीय मैच में सेठ रतन चंद सुराना महाविद्यालय, दुर्ग ने सेन्ट थामस महाविद्यालय को 39-16 से परास्त किया. तृतीय मैच स्वामी स्वरुपानंद महाविद्यालय ने महिला महाविद्यालय सेक्टर-09 को 16-0 से परास्त किया. चैथा मैच में देव संस्कृति महाविद्यालय ने शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग को 44-02 से परास्त किया.
प्रथम सेमी फाइनल में शासकीय कन्या महाविद्यालय दुर्ग, ने स्वामी स्वरुपानंद महाविद्यालय 47-0 से परास्त फाईनल में प्रवेश किया. वही दूसरी तरफ देव संस्कृति महाविद्यालय, खपरी, दुर्ग ने सेठ रतन चंद सुराना महाविद्यालय, को 90-31 परास्त किया और फाईनल में प्रवेश किया.
इस प्रतियोगिता में विभिन्न महाविद्यालय से आये क्रीड़ाधिकारी श्री अमरीक सिंह, डाॅ. रमेश त्रिपाठी, डाॅ. प्रमोद तिवारी, श्रीमती अर्चना षंडगी, श्री एम.एम.तिवारी, कु. आफरीन, कु. प्रतीक्षा ताथे उपस्थित थी.
इस प्रतियोगिता के निर्णायक थे श्री किरण पाल सिंह, श्री विनय जनबन्धु, श्री मिथलेश सिंह, श्री कुण्डल राव, श्री मोहन थे.
प्रतियोगिता का संचालन डाॅ. ऋतु दुबे क्रीड़ा अधिकारी ने किया और आभार प्रर्दशन श्री जागृत ठाकुर, सहायक प्राध्यापक ने किया प्रतियोगिता के आयोजन में श्री बल्ला वैष्णव, श्री विजय चन्द्राकर, श्री विमल यादव ने अपना अमूल्य सहयोग किया.