भिलाई. हम सभी जानते हैं कि आसमान नीला और समन्दर गहरा नीला दिखता है. पर एक विद्यार्थी के मन में जब इसके कारणों को जानने की ललक पैदा हुई तो विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कार हो गया. यह एक महत्वपूर्ण खोज थी जिसका आज की दुनिया में व्यापक इस्तेमाल किया जाता है. वह विद्यार्थी था चंद्रशेखर वेंकट रमन और वह खोज था रमन इफेक्ट. रमन एशिया के वो पहले व्यक्ति थे जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार दिया गया था.
उक्त बातें आज एमजे कालेज के प्राचार्य तथा भौतिकशास्त्री डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहीं. वे डॉ सीवी रमन की जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अधिकांश महत्वपूर्ण खोजें मन में उठने वाले सामान्य सवालों से ही हुए हैं. इसलिए विज्ञान के विद्यार्थी को अपनी आंखें और कान हमेशा खुले रखना चाहिए. क्या पता कोई अच्छा आइडिया आ जाए.
उन्होंने बताया कि पहले लोगों का यही मानना था कि आसमान का नीला रंग ही समुद्र में प्रतिबिम्बित होता है. पर रमन के मन ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया था. एक बार जब वे पानी के जहाज से यात्रा कर रहे थे तो उन्होंने प्रिज्म का उपयोग कर पानी के रंग की पड़ताल की. उन्हें वह अंतर मिल गया. आज स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग विभिन्न पदार्थों को पहचानने के लिए किया जाता है. फोरेंसिक साइंस में भी इसका जबरदस्त इस्तेमाल किया जाता है.
एमएससी भौतिकी के सहा. प्राध्यापक प्रेमनारायण ने रमन इफेक्ट के बारे में सारगर्भित जानकारी दी. उन्होंने डॉ सीवी रमन को एक महान वैज्ञानिक बताया कि जिनकी खोज का उपयोग आज विज्ञान के लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक तौर पर किया जाता है.
गोष्ठी में बायोटेक्नोलॉजी विभाग की एचओडी सलोनी बासु, कम्प्यूटर साइंस की एचओडी पीएम अवंतिका, कृतिका गीते एवं विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन दीपक रंजन दास ने और धन्यवाद ज्ञापन वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की स्नेहा चन्द्राकर ने किया. कार्यक्रम में 30 से अधिक विद्यार्थियों ने भागीदारी दी.