राजस्थान के जयपुर स्थित गोविंदगढ़ की पूजा सिंह शेखावत ने बचपन से ही पति-पत्नी के बीच होते झगड़े और टूटते हुए घर देखे थे. घर घर में होती किचकिच ने उसे इतना डराया कि उसने विवाह नहीं करने का फैसला कर लिया. पर समाज ने इतने ताने मारे कि अंततः उसे विवाह का फैसला लेना पड़ा. उसने यह भी देखा था कि तुलसी का विवाह शालिग्राम से करवाया जाता है. उसने पंडित से पूछा, मां की सहमति ली और हो गई अपने ठाकुरजी की.
पूजा सिंह शेखावत ने राजनीति विज्ञान से एमए किया है. बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन रही है और भगवान को ही पति के रूप में स्वी कार किया है. पर पूजा के पिता प्रेमसिंह ने बेटी के इस रिश्तेा को कभी नहीं स्वी कारा. पूजा सिंह शेखावत ने बताया कि वह तीन भाइयों से बड़ी हैं. उम्र शादी के लायक हुई तो परिवार ने लड़का देखना शुरू कर दिया था. रिश्ते आते रहे पर संजोग नहीं बैठा. वैसे वह खुद भी किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती थी. जब वह 30 साल की हो गई तो लोग अविवाहित रहने के कारण ताना मारने लगे. तंग आकर उसने मंदिर में ठाकुरजी से शादी कर ली.
पूजा ने बताया कि अक्सयर देखा है कि पति पत्नी का रिश्ताु छोटी छोटी बातों पर टूट जाते हैं. बचपन से देखती आई थी कि तुलसी का विवाह सालिगरामजी से करवाया जाता है. पंडित से पूछा तो उन्होंाने इस पर सहमति जताई. इसके बाद परिजनों को बताकर 8 दिसम्बर को शादी कर ली. इस विवाह से पिता सहमत नहीं थे. वो नहीं आए तो सभी विधियां मां ने सम्पन्न कराई. पूजा के पिता बीएसएफ से रिटायर होने के बाद अब मध्यइ प्रदेश में सिक्योीरिटी एजेंसी चलाते हैं.
मंडप में पिता की जगह तलवार रखकर कन्यायदान किया गया. इससे पहले महिला संगीत, मेहंदी, चाक-भात, वरमाला, सात फेरों की रस्मेंम हुई. पूजा ने मंदिर में ठाकुरजी की प्रतिमा को हाथ में लेकर फेरे लिए. स्वयं चंदन से अपनी मांग भरी. फिर ठाकुरजी वापस मंदिर में विराजमान हो गए और पूजा अपने मायके आ गए. अपने कमरे में ठाकुरजी का छोटा सा मंदिर बनवाया है.