रूस की तान्या भारत भ्रमण के लिए आई थी. काफी समय से कोशिश करने के बाद भी उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. आगरा में उसने एक पंडित को दिखाया तो उसने बताया कि कुंडली में मंगल दोष है. जब तक मांगलिक वर नहीं मिलेगा, विवाह नहीं होगा. इससे बचने का उन्होंने यह उपाय बताया कि वह पीपल या खेजड़ी के पेड़ से विवाह कर ले. राजस्थान में यह प्रथा बेहद आम है. 28 साल की तान्या उदयपुर पहुंची और खेजड़ी के पेड़ से शादी कर ली.
तान्या कारपोवा ने 7 दिसंबर को उदयपुर शहर के सूरजपोल के बाहर फतह स्कूल के सामने शादी की यह रस्म पूरी की. पंडित हेमंत सुखवाल ने बताया कि दोष निवारण विधान को लेकर तान्या बहुत उत्साहित थीं. वैसे पेड़ से शादी रचाने वाली तान्या अकेली रूसी लड़की नहीं है. इससे पहले मार्च 2020 में 3 रूसी युवतियों ने मांगलिक दोष दूर करने के लिए वाराणसी में पीपल के पेड़ से शादी की थी. इन तीनों का मानना था कि उनकी लग्न कुंडली में मंगल दोष के कारण विवाह में बाधा आ रही थी.
क्या है मंगलदोष
सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में संस्कृत के प्रोफेसर और डीन पीजी स्टडी प्रो. नीरज शर्मा के मुताबिक यदि किसी लग्न कुंडली में मंगल दूसरे, चौथे, सातवें, 8वें और 12वें भाग में हो तो यह मांगलिक कुंडली कही जाएगी। चंद्र कुंडली में मंगल दूसरे, चौथे, 7वें, 8वें और 12वें भाग में होना दोहरा मांगलिक दोष माना जाता है. लड़का और लड़की दोनों की लग्न, चंद्र या शुक्र कुंडली में मंगल की स्थिति परस्पर इन्हीं भावों में बनती है तो मांगलिक दोष दूर हो जाता है. मंगल के असर से शादी में देरी, पति-पत्नी में कटुता और शादी टूटने के संकेत माने जाते हैं, इसलिए शादी से पूर्व भाव मेलापक, ग्रह मेलापक और गुण मेलापक पर विचार की परंपरा और मान्यता है.