भिलाई। एमजे कालेज में आज भिलाई से निकलकर विदेश में अपना मुकाम बनाने वाले दो एनआरआई बंधुओं ने अपना अनुभव साझा किया. दोनों ने अपनी यात्रा का वर्ण करते हुए विदेश में काम करने का अनुभव, करियर निर्माण की जोखिमों, देश के प्रति अपने कर्तव्यों का विस्तार से वर्णन किया. ये दोनों ही भिलाई विद्यालय सेक्टर-2 के पूर्व छात्र हैं जिन्होंने अभियांत्रकी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद भिन्न दिशाओं में अपना करियर बनाया.
आईआईटी कानपुर से मेकानिकल में एमटेक करने के बाद शैलेन्द्र मिश्रा ने आईटी सेक्टर का रुख किया. जो कुछ भी सीखने को मिला उसे सीखते गए और नई चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार करते रहे. सम्प्रति वे ईएक्सएफओ (EXFO) के स्ट्रैटेजी हेड हैं. यह कनाडा की कम्पनी है जो इंटरनेट के इंफ्रस्ट्रक्चर निर्माण से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी स्वयं को किसी डिग्री के संकीर्ण दायरे में न बांधें बल्कि जब भी अवसर मिलता है, आनुषांगिक ज्ञान भी अर्जित करते रहे. यह करियर को नई ऊंचाइयां प्रदान करेगा.
उन्होंने बताया कि बीटेक करने के बाद ही उन्हें नौकरी मिल चुकी थी पर वे उतने से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने अपने विचार पिता के साथ साझा किये और उन्हें समझाने में सफल भी रहे. इसके बाद उन्होंने आईआईटी से एमटेक किया. आईआईटी कैम्पस में लाइब्रेरी की 24 घंटे की सुविधा थी. जब भी मन में कोई नया विचार आया तो पढ़ाई करने पहुंच जाते थे. यह युग तो इंटरनेट का है. विद्यार्थी के पास सबकुछ है, बस इच्छा शक्ति की जरूरत है. उन्होंने बताया कि मेडिकल सेवा और शिक्षा में भारतीयों का यूके में भी एकछत्र राज है.
अंतरराष्ट्रीय स्टील कारोबारी संतोष मिश्रा ने भी भिलाई विद्यालय के ही पूर्व छात्र और शैलेन्द्र के सहपाठी हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से वे भारत लौटने की कोशिश कर रहे हैं. चार-पांच साल में कारोबार समेटकर वे यहीं लौटना चाहते हैं तथा देश में ही काम करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को शीर्ष तक पहुंचाने वाले भारतीय ही हैं. माना कि एनआरआई अपनी बचत का एक हिस्सा भारत भेजते हैं पर यह मूंगफली के छिलके जितना होता है. यदि ये लोग भारत में बैठकर काम करते तो भारत की जीडीपी कहीं से कहीं पहुंच जाती. उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय मूल्यों के महत्व को समझाते हुए कहा कि जीवन में सफल होने के लिए इनका पालन करना चाहिए.
आरंभ में अतिथियों का परिचय कम्प्यूटर साइंस की एचओडी पीएम अवंतिका ने दिया. प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहे विद्यार्थियों को सफल लोगों से रूबरू कराने का उद्देश्य न केवल उनमें उत्साह का संचार करना है बल्कि करियर की राह में आने वाली विभिन्न अड़चनों से उनका परिचय कराना भी है. अंत में धन्यवाद ज्ञापन सीएस विभाग की एचओडी अवंतिका ने किया.