भिलाई। बौद्धिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए उनका पंजीयन कराना होता है. पंजीयन पश्चात बौद्धिक संपदा पर आपके अधिकार आवेदन तिथि से लागू हो जाते हैं. इस अवधि में यदि किसी ने आपकी बौद्धिक संपदा का उपयोग किया है तो आप न्यायालय जाकर उससे अपने हिस्से की वसूली कर सकते हैं. उक्त बातें आज बौद्धिक संपदा की सुरक्षा पर आयोजित एक वेबीनार में राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी मैनेजमेंट के एक्जामिनर हिमांशु चन्द्राकर ने कहीं.
श्री चन्द्राकर एमजे कालेज द्वारा आयोजित इस वेबीनार को विषय विशेषज्ञ के रूप में संबोधित कर रहे थे. एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर की प्रेरणा से प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे के मार्गदर्शन में यह आयोजन किया गया था. आरंभ में स्वागत भाषण विज्ञान संकाय की ममता एस राहुल ने दिया. डॉ चौबे ने विषय प्रवेश कराते हुए कॉपीराइट, पेटेंट, आदि का उल्लेख करते हुए बौद्धिक संपदा को परिभाषित किया.
श्री चन्द्राकर ने कहा कि बौद्धिक अधिकार पर क्लेम उसी देश में मिल सकता है जिस देश में उसका पंजीयन कराया गया हो. आज सबसे ज्यादा 14 लाख पेटेन्ट चीन में रजिस्टर किये जाते हैं. यूएस में 6 लाख 21 हजार से अधिक, जापान में 3 लाख 7 हजार, कोरिया में लगभग 2 लाख 19 हजार और भारत में केवल 53 हजार 627 पेटेंट आवेदन दाखिल किये जाते हैं.
बौद्धिक संपदा को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि ये दोनों टैंजीबल और इंटैंजिबल दोनों प्रकार के हो सकते हैं. इसके अंतर्गत पेटेंट, डिजाइन, ट्रेड मार्क, जीयोग्राफिक इंडीकेशन, कॉपीराइट, सेमीकण्डक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट, प्रोटेक्शन ऑफ प्लाट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट्स जैसे विषय शामिल हैं. ये सभी बौद्धिक संपदा हो सकते हैं. आपको इनपर कमाई करने का अधिकार होता है. पर यह तभी संभव है जब आप इनका पंजीयन कराएं. पंजीयन की प्रक्रिया को ऑनलाइन या ऑफलाइन पूरा किया जा सकता है. इसमें कोई त्रुटि होने पर उन्हें सुधारने का मौका दिया जाता है. पेटेन्ट या कॉपीराइट एक निश्चित अवधि के लिए होता पर इस अवधि में भी सालाना उसका नवीनीकरण करना होता है. आवेदन करने के बाद कॉपीराइट या पेटेन्ट प्राप्त होने तक इसा आम नहीं करना चाहिए. यदि कर भी दिया है और कोई इसका उपयोग बिना अनुमति कर रहा है तो आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. पर एक बार प्रमाणपत्र मिल जाने के बाद आप उनसे वसूली के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं. यह अधिकार आपके द्वारा किए गए आवेदन की तिथि से लागू हो जाता है.
वेबीनार में एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के प्राचार्य डैनियल तमिल सेलवन, एमजे कालेज (फार्मेसी) के प्राचार्य डॉ विजेन्द्र सूर्यवंशी समेत सभी फैकल्टी मेम्बर्स एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल हुए. अंत में श्री चन्द्राकर ने लोगों की शंकाओं का समाधान भी किया. धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया ने किया.