दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया. Environmental Issues and sustainable development विषय पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में श्रीलंका, नेपाल एवं चीन के अतिरिक्त देश के अनेक राज्यों से प्रतिभागी उपस्थित हुए.
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रातः 10.30 बजे महाविद्यालय के राधा कृष्णन हाॅल में संपन्न हुआ. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ. पी. लाल, पूर्व कुलपति, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, नागालैंड, विशिष्ट अतिथि डाॅ. एम.एल. नायक मेम्बर, छ.ग. राज्य जैव विविधता बोर्ड, रायपुर छ.ग, विशेष अतिथि डाॅ. आर.के. त्रिवेदी, डायरेक्टर, En इन्टरनेषनल पुणे एवं छ.ग. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक ई-1, डाॅ. प्रशांत कविश्वर उपस्थित रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डाॅ. उषा साहू ने वेलकम एड्रेस दिया. डाॅ. संजू सिन्हा ने कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की. डाॅ. अनिल कुमार ने अपने उद्बोधन में Basic Research के महत्व को बताया. कार्यक्रम के विशेष अतिथि छ.ग. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के डाॅ. प्रशांत कविश्वर ने अपने उद्बोधन में wetland के महत्व तथा शोधार्थियों को उनके शोध को पेटेंट कराने के लिए पेटेंट सेल की सुविधाओं की जानकारी दी.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. पी. लाल ने अपने उत्कृष्ट उद्बोधन में पर्यावरणीय प्रदूषण एवं उसके कारणों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी उन्होंने संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों तथा उसकी कार्यप्रणाली को बताया. इसके पश्चात् डाॅ. आर.के. त्रिवेदी ने अपने की-नोट एड्रेस में प्रदूषित जल के उपचार हेतु low cost एवं eco-friendly methods के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने दूषित जल में भारी धातुओं के रिमूवल में जलीय पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका को विस्तारपूर्वक समझाया तथा साथ ही शोधार्थियों को जल प्रदूषण से संबंधित विभिन्न विषयों पर शोध करने हेतु प्रोत्साहित किया.
इसके पश्चात् प्रथम तकनीकी सत्र में रायपुर छ.ग. राज्य जैव विविधता बोर्ड के डाॅ. एम.एल. नायक ने अत्यंत रोचक विधि से पर्यावरणीय प्रदूषण के कारणों तथा उन पर किये जा रहे कार्यों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. उन्होंने कार्बन क्रेडिट, कार्बन सिक्वेस्ट्रेषन तथा ग्लोबल वार्मिंग पर विष्व स्तरीय किए जा रहे प्रयासों पर अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी दी साथ ही शोधार्थियों को बहुत ही सरल माध्यम से उत्कृष्ट शोध करने की विधियों को विस्तारपूर्वक समझाया.
द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के डाॅ. सुबोध के उपाध्याय ने वाइड लाइफ के माॅनीटरिंग हेतु नाॅन इनवेजिव स्पेसिस टेक्नीक के उपयोग पर जानकारी दी. उन्होंने कैमरा ट्रैपिंग मैथेड के स्थाप पर डीएनए एक्ट्रेक्शन एवं आईडेन्टिफिकेशन मैथड पर जानकारी दी.
विशाखापट्नम के डाॅ. बेले दामोदर शिनाॅय ने फंगस आईडेन्टिफिकेशन हेतु कोलसेंट विधि पर प्रकाश डाला तथा स्पीसीज आईडेन्टिफिकेशन में फाइलोजेनेटिक विभिन्नताओं को विस्तारपूर्वक समझाया. गुजरात के डाॅ. अलकेश शाह ने पर्यावरण में उपस्थित विषात पदार्थों का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझाया. उन्होंने मनुष्यों में कैंसर उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान पर हो रहे शोध कार्यों की जानकारी दी तथा समुद्र में होने वाले प्रदूषण के कारण वैष्विक स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपना व्याख्यान दिया. इसके पश्चात् देष के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किया गया. इसके पश्चात् सांय 6.00 बजे विभाग के विद्यार्थियों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.