बसना. ब्लाक मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर छोटेटेमरी का एक प्रायमरी स्कूल चर्चा में है. इस खण्डरनुमा स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं. एक शिक्षिका उन्हें पढ़ाती है. बच्चों का नियमित अटेंडेंस भी लगता है. क्लासरूम की फोटो भी बीईओ-डीईओ को भेजी जाती है. शिक्षिका तो वेतन मिलता रहता है. वैसे स्कूल में ताला लगा हुआ है. गांव वालों ने पिछले काफी समय से यहां किसी को आते जाते नहीं देखा पर सरकार के रिकार्ड में यहां स्कूल संचालित होने का पूरा रिकार्ड मय फोटोग्राफ मौजूद है.
गांव वाले बताते हैं कि शिक्षका का व्यवहार अच्छा नहीं था इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को दूसरे स्कूल भेजना शुरू कर दिया. इस पर शिक्षिका ने आंगनवाड़ी के बच्चों को जर्जर शालाभवन के बाजू में बने एक कक्ष में बैठाकर उनकी फोटो खींच ली और खण्ड शिक्षा अधिकारी-बीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी -डीईओ को भेज दिया. शिक्षिका का 2022 में प्रमोशन भी हुआ और वह प्रधानपाठक बनकर यहीं पदस्थ हो गईं. पर जब स्कूल के बंद होने की शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने अपना तबादला पसेरलेवा में करा लिया.
bhaskar.com की खबर के मुताबिक इस स्कूल की दर्ज संख्या पिछले 3 साल से शून्य है. इसकी जानकारी संकुल समन्वयक ने समय समय पर उच्चाधिकारियों को दी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जनवरी 2023 में जाकर शिकायतों का असर हुआ और शिक्षिका का वेतन रोक दिया गया. वहीं बीईओ कहते हैं कि सीएससी के जरिए प्रति माह का उपस्थिति पत्रक मिलता रहा इसलिए मामले का खुलासा नहीं हुआ. जांच के लिए गांव तक टीम भेजी गई तब जाकर मामला साफ हुआ और वेतन रोकते हुए टीचर को हटा दिया गया. bhaskar.com का दावा है कि उसके पास इस मामले में गांव के सरपंच और उपसरपंच द्वारा शिक्षा विभाग को लिखे गए पत्रों की प्रतिलिपि मौजूद है.
सवाल यह उठता है कि क्या पिछले 3 साल में बीईओ या डीईओ का एक भी दौरा इस गांव में नहीं हुआ. यहां के 10 बच्चे बड़े टेमरी और बसना के स्कूल में पढ़ने जाते हैं. यह स्कूल बीईओ के दफ्तर से महज 3 किलोमीटर दूर है. फिर भी शिकायतों के बावजूद स्थल निरीक्षण नहीं किया गया. फोटो पर भरोसा किया गया. स्पष्ट है कि बिना मिलीतभगत और संरक्षण के यह गोरखधंधा चल ही नहीं सकता था. ऐसे में केवल शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई कर विभाग अपने कर्तव्यों की इतिश्री नहीं कर सकता.