विभिन्न कारणों का हवाला देकर सरकार अपनी आमदनी तो बढ़ा लेती है पर उसे गरीबों को भी बताना चाहिए कि वे अपनी आमदनी कैसे बढ़ाएं. पहले ही आसमान को छू रही रसोई गैस और ईंधन की कीमतों ने महंगाई में हाहाकारी इजाफा कर रखा है. अब सरकार ने रसोई गैस के दामों में फिर से 50 से 350 रुपए तक की वृद्धि कर दी है. इसका असर न केवल घरेलू बजट पर पड़ेगा बल्कि जो लोग मजबूरी में बाहर खाते हैं, उनकी जेबें भी कटेंगी. कीमत बढ़ाकर अपने घाटे की भरपाई करना सरकार के लिए आसान है पर देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी के पास इसका कोई विकल्प नहीं है. एक लंबे समय से वह अपना पेट काटकर जी रहा है. अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए एक शोध के आंकड़ों की मानें तो देश के 67 प्रतिशत परिवारों की आमदनी 10 हजार रुपए महीने से कम है. परिवहन की लगातार बढ़ती कीमतों ने उसे अपने घर के आसपास कैद कर दिया है. शहर छोड़कर नौकरी के लिए 50 किलोमीटर तक जाना भी उसके लिए असंभव हो चुका है. सरकारी मोटा अनाज खाकर वह किसी तरह जिंदा तो है पर इसका विपरीत प्रभाव उसकी कार्यक्षमता पर पड़ रहा है. अर्थशास्त्र का मोटा सा सिद्धांत है कि ईंधन खर्च बढ़ने से महंगाई बढ़ती चली जाती है. चावल, खाद्य तेल और मसालों की कीमतों में लगभग 100 प्रतिशत का इजाफा पिछले कुछ वर्षों में हो चुका है. लाखों रुपए और सालों की मेहनत से हासिल की गई डिग्रियां भी युवाओं को ढंग का रोजगार नहीं दिला पा रही हैं. इधर, लोगों के सपने बड़े होते चले जा रहे हैं. इन सपनों को पूरा करने के लिए उसके पास सरकार जैसा कोई शार्टकट नहीं है. उनके लिए सिर्फ अपराध के रास्ते खुले हैं. ‘जामताड़ा’ तो इस समुद्र में तैरते हिमशिला का सिरा मात्र है. चोरी, छिनतई, अवैध उगाही, ठगी और इसके परिणामस्वरूप होने वाली हिंसक वारदातों को इसमें जोड़ लें तो देश का युवा तेजी से अपराधों की ओर बढ़ रहा है. 2017 में आंध्रप्रदेश में सायबर फ्रॉड के 166 मामले दर्ज किये गये थे जबकि 2020 में यह आंकड़ा 764 तक पहुंच गया. इसी अवधि में छत्तीसगढ़ में मामले 33 से 71 तक पहुंच गए. गुजरात में मामले 123 से बढ़कर 205, तो बिहार में 427 से बढ़कर 1294 हो गए. महाराष्ट्र में 1426 से 2032, ओडीशा में 333 से 1079, तेलंगाना में 277 से बढ़कर 3316 मामले दर्ज किये गये. अरुणाचल और गोआ ने भी 2020 में अपना खाता खोल लिया. सरकार यदि वाकई देश को तरक्की के रास्ते पर लेकर जाना चाहती है तो उसे बढ़ती महंगाई और अपराध के बीच के सीधे संबंधों को समझना होगा. समझना होगा कि अपराधों का ग्राफ इसी तरह बढ़ता रहा तो आर्थिक तरक्की के सारे आंकड़े धरे के धरे रह जाएंगे और अर्थव्यवस्था जर्जर हो जाएगी.