“मेरे देश की धरती सोना-उगले, उगले हीरे मोती….” 1967 में आई फिल्म ‘उपकार’ का यह गीत तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ‘जय जवान जय किसान’ की तर्ज पर तैयार किया गया था. छत्तीसगढ़ राज्य गीत की भी एक पंक्ति कहती है -“सोनहा धाने के अंग लुगरा हरियर हे रंग…” पर जिनका वास्तविक इतिहास से कोई वास्ता नहीं, उनका इन बातों से क्या लेना देना? इसलिए जब कांग्रेस महाधिवेशन में खास मेहमानों का स्वागत सुनहरे रंग की मालाओं से किया गया तो सोशल मीडिया कूदकर इस नतीजे पर पहुंच गया कि हो-न-हो ये माला सोने की है. वह दावा कर बैठा कि यह माला 50 ग्राम सोने की है. गजब के पारखी निकले ये सोशल मीडिया वाले. 100 मीटर की दूरी से उन्होंने न केवल असली सोना पहचान लिया बल्कि उसका वजन भी बता दिया. ऐसे लोगों को तो ईडी में होना चाहिए. वैसे भी कांग्रेस की कमान अब दक्षिण भारतीय के हाथों में है जहां सोना का भाव तोले में नहीं, किलो में पूछा जाता है. इसलिए जब महाधिवेशन के दूसरे दिन यह वीडियो वायरल हुआ तो बहुत सारे लोगों ने उसे न केवल देखा बल्कि फारवर्ड भी किया. यह स्वाभाविक भी था क्योंकि कुछ लोगों को अपनी गली की खबर नहीं और वो बातें अमरीका, चीन, पाकिस्तान, इजरायल की करते हैं. प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने ऐसे ही लोगों को अपढ़ और कुपढ़ कहा है. यह वीडियो किसने बनवाया, क्यों बनवाया इसका पता लगाना सायबर पुलिस का काम है पर इसका फायदा किसे मिलना था, यह जगजाहिर है. वैसे भी सोशल मीडिया पर इन दिनों काम की बातें कम और अफवाहें ज्यादा वायरल की जाती हैं. जी हां! आपने सही पढ़ा. खबरें वायरल होती नहीं बल्कि की जाती हैं. इसके लिए बाकायदा एक मेकानिज्म है जिससे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पैसे कमाता है. पर इस बार दांव उलटा पड़ गया. जब इस सोने की माला की हकीकत सामने आई तो सोशल मीडिया की बोलती बंद हो गई. इस माला को कांग्रेस ने सोने से भी कीमती बता दिया. यह माला आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है. इसे आदिवासी अंचलों में बीरन माला कहते हैं. आदिवासी इसका उपयोग अपने श्रृंगार में करते हैं. कवर्धा जिले के वनांचल ग्राम कांदावानी, बिरहुलडीह, डेंगुरजाम, बाहपानी, टेढ़ापानी, रुख़मीदादर, ठेंगा टोला, भुरभुसपानी, पंडरीपानी, आदि गांवों में यह माला बनाई जाती है. इसमें बांस के छीलन के साथ मुंजा घास और ख़िरसाली सुताखण्ड घास का उपयोग किया जाता है. ये सभी सुनहरे रंग के होते हैं और इससे बने गहने स्वर्णाभूषण का आभास कराते हैं. पोल खुलते ही भाजपा ने इसका ठीकरा कांग्रेस पर ही फोड़ दिया. उसने कहा कि इस वीडियो को कांग्रेस ने ही बनाया और वायरल किया है. अगर यह सच है तो मानना पड़ेगा कि भूपेश सवा सेर हैं. वरना अनुभव तो यही कहता है कि “चित भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का..” किसी और की खूबी है.