कांग्रेस महाधिवेशन से चाहे जो अच्छा संदेश गया हो पर एक गलती इस पूरे किए धरे पर पानी फेर सकती है. यह छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सालों की तपस्या और चार साल की मेहनत को ग्रहण लगा सकती है. यह राहुल गांधी की चार हजार किलोमीटर लंबी पदयात्रा की चमक को फीका कर सकती है और अंत-पंत लोगों के मन में वही वितृष्णा के भाव जगा सकती है जिसकी वजह से कांग्रेस का लगभग पूरे देश से सफाया हो गया. लोगों को उतनी चिढ़ कांग्रेस से नहीं है जितनी चाटुकारिता से है, और यह तो उसकी पराकाष्ठा थी.छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित कांग्रेस के महाधिवेशन में 25 साल तक कांग्रेस की बागडोर संभालने वाली पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहुंची थीं. नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी पहुंचे थे. पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी आए थे. पर जिस तरह का स्वागत प्रियंका गांधी का किया गया वह न केवल दृष्टिकटु था बल्कि “आ बैल-मुझे मार” वाली उक्ति को चरितार्थ करता है. कांग्रेस को बताना होगा कि कौन है प्रियंका गांधी जिसके स्वागत में 6000 किलो गुलाब के फूलों से सड़क को पाट दिया गया? क्या जनता यह समझे कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को ही अपने तारणहार के रूप में देख रही है? प्रियंका में कांग्रेस की तिलस्मी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्स दिखाई देता है. क्या मल्लिकार्जुन केवल मुखौटा हैं जिन्हें जब चाहे बदला जा सकता है? प्रियंका के चरणों में बिछ जाने का यह अंदाज कांग्रेस को बहुत भारी पड़ सकता है. जो लोग भाजपा की फैंसी सरकार के विरोध में आज तक कांग्रेस के साथ हैं, वे कदाचित कांग्रेस में सूत की माला वाली परम्परा को देखना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि एक बार फिर कांग्रेस में सेवादल की प्रधानता हो. कांग्रेस के नेताओं में गांधी जैसी सादगी हो, नेताजी वाली प्रखरता हो, पटेल वाला लौह चरित्र हो. ऐसे लोग कांग्रेस का गरीबनवाज चेहरा देखना चाहते हैं. वह कांग्रेस जो गरीबों को सब्सिडी में गैस उपलब्ध कराती है, पेट्रोल डीजल के दामों को काबू में रखती है ताकि जिन्सों की कीमतों में हाहाकारी उछाल न आए. उनकी आंखें उस कांग्रेस को तलाशती हैं जो धर्मनिरपेक्ष है और सबको साथ लेकर चलने में यकीन करती है. वो चिढ़ते हैं कांग्रेस पर हावी परिवारवाद से. विपक्ष की पूरी न सही आधी से ज्यादा राजनीति लोगों के इसी गुस्से पर टिकी हुई है. प्रियंका के स्वागत में सड़क पर दो किलोमीटर तक गुलाब बिछाकर कथित कांग्रेसियों ने इसी गुस्से को हवा दे दी है. पार्टी ने थाली में सजाकर, चांदी का वर्क लगाकर ऐन यही मुद्दा भाजपा को दे दिया है. वैसे गुलाब के फूलों से कांग्रेस का नाता पुराना है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी गुलाबों से प्रेम था. उन्होंने ग्राफ्टिंग और बडिंग की मदद से गुलाब की सैकड़ों किस्में तैयार की थीं. पर वो भी अपने कोट में गुलाब का सिर्फ एक फूल लगाया करते थे. इस तरह की फूहड़ता कांग्रेस की स्वीकार्यता को आहत कर सकती है.