भिलाई। जगद्गुरू शंकराचार्य काॅलेज आॅफ एजुकेशन की आईक्यूएसी प्रकोष्ठ के तत्वाधान में हिंदू नववर्ष के शुभारंभ एवं चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस के पावन अवसर पर श्री रामचरितमानस दोहा पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें बी.एड. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के प्रशिक्षार्थियों ने बहुत ही उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया सभी प्रशिक्षार्थियों एवं स्टाफ ने बहुत ही भक्तिभाव पूर्वक श्री रामचरितमानस के दोहो का पाठ किया। श्री रामचंद्रजी क जीवन पर आधारित सुंदरकांड, बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, लंकाकांड, एवं उत्तरकांड के अलग-अलग दोहो की अति सुंदर प्रस्तुति दी गई। प्रशिक्षार्थी भावना शर्मा ने बहुत ही मधुर आवाज में श्री रामचरितमानस के सुंदरकांड के इस दोहे का वाचन कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया- “नाथ दैव कर कबन भरोसा, सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा। कादर मन कहूँ एक आधारा, दैव दैव आलसी पुकारा”। प्रशिक्षार्थी हरीश चंदेल ने सुंदरकांड के- “जामवंत के बचन सुहाए, सुनि हनुमंत हृदय अति भाए। तब लागि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई, सहिन दुख कंद मूल फल खाई”। प्रशिक्षार्थी ज्हानवी शर्मा ने श्री रामचरितमानस के दोहे- “गुर बिनु भव निध तरह न कोई, जौ बिरंचि संकर सम होई”, का वचन कर उसका भावार्थ बताते हुए गुरू की महत्ता को बताया। महाविद्यालय की सी. ओ. ओ डाॅ.मोनिषा शर्मा ने कहा कि समय समय पर ऐसे आयोजन होते रहना चाहिए जिससे हम धार्मिक संस्कारों का बीजारोपण और हस्तांतरण कर सकते है। प्राचार्या डाॅ. व्ही. सुजाता ने सभी को नववर्ष एवं नवरात्रि की शुभकामनाये देते हुए कहा कि श्री रामचंद्र जी के आदर्शो को अपनाये, राम-लक्ष्मण-भरत की तरह प्रेम, राम-विभिषण जैसी मित्रता, राम और हनुमान जैसी भक्ति भाव, सीता जैसे महान चरित्र को आज जिस तरह आप सभी ने प्रस्तुत किया वह बहुत ही प्रशंसनीय है एवं आप इसे अपने जीवन में भी अंगीकार करें। आईक्यूएसी प्रभारी एवं विभागाध्यक्ष मधुमिता सरकार ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन एवं कार्यक्रम की प्रभारी सहायक प्राध्यापक श्रद्धा भारद्वाज रही। संपूर्ण कार्यक्रम में समस्त स्टाफ ने अपना सहभागिता दी एवं कार्यक्रम को सफल बनाया।