दुर्ग. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सौजन्य से दस दिवसीय पुरातत्व मूर्तिकला प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन 17 मार्च को किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ सुशील चन्द्र तिवारी उपस्थित थे. उन्होंने आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक बहुउद्देश्यीय कार्यशाला है जिसे रोजगार के रूप में भी अपनाया जा सकता है.
इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार पाण्डेय ने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को पुरातत्वीय प्रतिमाओं की प्रतिकृति निर्माण एवं संरक्षण का तकनीकी ज्ञान हासिल होगा. साथ ही छग के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त मूर्तियों के इतिहास से भी उनका परिचय होगा.
छत्तीसगढ़ पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग की ओर से प्रशिक्षक एवं कलाकार रामशरण प्रजापति एवं राजेन्द्र सुनगारिया उपस्थित थे. श्री प्रजापति ने कहा कि पुरातत्व दृष्टि से हमें अपने प्राचीन संरचना की जानकारी मिलती है एवं मूर्तिकला प्रशिक्षण के द्वारा हम इसे रोजगार में तब्दील कर सकते हैं.
महाविद्यालय की आईक्यूएसी समन्वयक डॉ जगजीत कौर सलूजा ने कहा कि इतिहास विभाग द्वारा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के संवर्धन एवं विद्यार्थियों में रोजगार मूलक प्रवृत्तियों को विस्तार के लिए जो प्रयास किये जा रहे हैं वह नई शिक्षा नीति के अनुरूप है.
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आरएन सिंह ने इतिहास विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अपने विषय के दायित्व का पूर्ण निर्वाह करते हुए विभाग सांस्कृतिक परम्पराओं एवं कला के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहा है. कार्यक्रम का संचालन डॉ ज्योति धारकर ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ कल्पना अग्रवाल ने किया.