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ढर्रे पर चलकर नहीं मिलती आशातीत सफलता – डॉ पाणिग्रही

Apr 25, 2023
Earth Day in SSSSMV

भिलाई। ढर्रेपर चलकर कभी आशातीत सफलता नहीं मिलते। विजेता कुछ अलग नहीं करते, बल्कि उन्हीं चीजों को अलग तरीके से करते हैं। इस प्रकार के छोटे-छोटे कदम ही मंजिलों की ओर ले जाते हैं। उक्त बातें ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया, महासमुंद के फाउंडर प्रेसीडेन्ट डॉ विश्वनाथ पाणिग्रही ने आज कहीं। वे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आयोजित विश्व पृथ्वी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर ग्रुप डिस्कशन तथा पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन कंपटीशन का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का शीर्षक था “वी आर द ब्रांड बिल्डर्स ऑफ अ बेटर टुमारो’। कार्यक्रम संयोजिका श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी एवं कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पर्यावरण से संबंधित पीपीटी तथा उसी से संबंधित ग्रुप डिस्कशन तथा पीपीटी प्रेजेंटेशन द्वारा विद्यार्थी पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का अध्ययन करेंगे तथा उसे अपने जीवन में आत्मसात करने की कोशिश ही करेंगे। पीपीटी में विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अलग-अलग विषयों का चयन किया है जिसमें उन्होंने अपने निजी जीवन के प्रयासों को सम्मिलित किया है।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया बीबीए द्वितीय सेमेस्टर से साक्षी जैन तथा शेफाली राजपूत ने जिन्होंने बताया कि पृथ्वी के बिना इंसान का जीवन संभव नहीं है. इसे बचाने के लिए हमें पेड़-पैधे लगाने का संकल्प लेना होगा. ऐसा करने से हरियाली के साथ ही ऑक्सीजन भी मिलेगी. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना होगा तथा गली मोहल्लों को कचरा मुक्त करना होगा। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग तथा सौर ऊर्जा के फायदों के बारे में भी बताया।
द्वितीय स्थान पर रहे बीबीए द्वितीय सेमेस्टर से करण जैन तथा गुरलीन कौर ने घर को हरा-भरा बनाए रखने के साथ-साथ कीटाणु मुक्त तथा आरामदायक बनाने के प्रयासों के बारे में बताया। गुरलीन कौर ने अपने प्रेजेंटेशन में यह भी बताया कि आज की पीढ़ी को कृषक बनने के लिए कैसे प्रेरित करें क्योंकि स्वयं उसके परिवार तथा भाई इसी व्यवसाय से जुड़े हैं।
तृतीय स्थान पर रहे द्वितीय सेमेस्टर के खुशाल सिन्हा, झमिता यादव, तथा नल्शी जैन जिन्होंने प्रकृति से संबंधित तमाम प्रदूषण उसके प्रभाव तथा पृथ्वी को उससे मुक्त करने के उपाय बताएं। उन्होंने बताया कि कूड़े-कचरे का उचित प्रबंधन करना होगा। रीसाइक्लिंग नहीं होने के कारण जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते हैं, जो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का कारण बनते हैं. ऐसे में हमें कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा।
बीबीए द्वितीय सेमेस्टर के शाश्वत वर्मा तथा वैभव वर्मा ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया जिन्होंने पृथ्वी को दूषित करने के कारकों के साथ-साथ, पशु संरक्षण पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
डॉ पाणिग्रही ने अपने वक्तव्य का आरंभ स्वरचित कविता से किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के शीर्षक के महत्व को बताते हुए विद्यार्थियों को धरती माता के संरक्षण के महत्व से जोड़ा। डॉ पाणिग्रही के सुझाव पर मलेशिया के राजा ने अपने देश की नदी की सफाई करवाई थी। केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय अनेकों पुरस्कार से सम्मानित डॉ पाणिग्रही ने विद्यार्थियों को वर्तमान परिपेक्ष्य में पृथ्वी में जगह-जगह होने वाले संसाधनों के ह्रास तथा उसे रोकने के उपायों के बारे में बताया। हमें केवल अपने ही लिये नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिये भी सोचना है। प्रकृति से विरासत से मिले बहुमूल्य संसाधनों को पूरी तरह समाप्त करने का हमें अधिकार नहीं है, यह हमारे बच्चों की धरोहर है जिसे हमें स्वयं प्रकृति ने संरक्षण के लिये सौंपा है। उन्होंने विद्यार्थियों के साथ अपने अनेक स्व अनुभव साझा किए और बताया कि किस तरह महासमुंद जिले में व्याप्त गंदगी को उन्होंने अपने निरंतर प्रयासों से एक सुंदर जिले में तब्दील कर दिया। विद्यार्थियों से 1100 नंबर पर डायल करके अपनी शिकायतों का त्वरित समाधान करने का सुझाव दिया। वृक्षारोपण के विषय में बताते हुए पीपल के वृक्ष से संबंधित उन्होंने अपने द्वारा चलाए गए मुहिम “पीपल फॉर पीपल” के बारे में भी बताया।
डॉ विश्वनाथ पाणिग्रही ने विश्व पृथ्वी दिवस तथा अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर विजेता प्रतिभागियों को शमी के महत्व को बताते हुए शमी का पौधा भेंट किया। उन्होंने कहा की शमी अर्थात देवताओं का वृक्ष अर्थात खेजड़ी का वृक्ष जिस का ना केवल पौराणिक महत्व है बल्कि आज भी उतना ही पूजनीय है। ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया की ओर से विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
महाविद्यालय प्राचार्य तथा कार्यक्रम के विशेष अतिथि डॉ हंसा शुक्ला ने कहा ये दिन एक मौका होता है जब करोड़ों लोग मिलकर पृथ्वी से जुड़ी पर्यावरण की चुनौतियों जैसे कि, क्लाइमेट चेंज. ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैवविविधता संरक्षण के लिए प्रयास करने में और जागरुक हों और इसमें तेजी लाएं। इस प्रकार के ब्रेनस्टॉर्मिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने से विद्यार्थियों में शीर्षक के प्रति ना केवल उत्सुकता जागेगी बल्कि अपने इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से कल इन्हीं विद्यार्थियों में से कोई सफल यूट्यूबर, कोई सफल ब्लॉगर होगा, तो कोई पर्यावरण पर आधारित सफल डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर बनेगा।
महाविद्यालय सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए ग्रीन केयर सोसायटी इंडिया को साधुवाद दिया तथा प्रतिभागियों को शुभकामनाएं प्रेषित की। विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर बनाए गए पीपीटी तथा उसके प्रेजेंटेशन की सभी प्राध्यापकों ने प्रशंसा की। तकनीकी रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में खुशाल सिन्हा, करण जैन, शाश्वत वर्मा, अंजली शर्मा तथा झमिता यादव ने विशेष योगदान दिया।

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