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नाट्यकलाकारों के दशावतार (4)

Apr 19, 2023
10 incarnations of drama

हम लोग अब तक छै अवतारों का जायजा ले चुके हैं……आइए आज मै आपका रामावतार , कृष्णअवतार और कल्कि अवतार से परिचय करवाता हूं।…..
7 ) राम अवतार – मर्यादा पुरुषोत्तम ये नाट्य विधा के कलाकार सभी निर्देशकों के प्रिय होते हैं। राइट हैंड समझ लीजिए । दूसरे अवतार पीठ पीछे इन्हे निर्देशक का चमचा भी कहते हैं। पर उससे क्या होता है पीठ पीछे तो लोग भगवान को भी गालियां देते हैं…..बहरहाल ….
रामावतार को निर्देशक जितना बतलाता है बस वैसा ही हूबहू वे मंच पर प्रदर्शन करने का प्रण ले लेते हैं…..रघकुल रीत सदा चली आई…प्राण जाएं पर वचन न जाई..। यदि निर्देशक ने कहा है कि दूसरा पात्र मंच पर आकर तुम्हारे दाहिनी तरफ खड़ा होकर संवाद कहेगा , मजाल है कि वो पात्र बाई और खड़ा हो कर संवाद मंच पर कह दे। जब तलक वो बंदा दाहिनी तरफ खड़ा हो नहीं जाता , ये रामावतार बाबू अपनी आंखों के इशारे से उसे दाहिनी तरफ आकर संवाद अदायगी के लिए धमकाते रहते हैं। तब तक नाटक भले ही खड़ा हो जाए… वे अपने निर्देशक को दिए गए प्रण पर अडिग रहते हैं।
रघकुल रीत सदा चली आई….!
मर्यादा पुरुषोत्तम राम अवतार कलाकार निर्देशक के पद चिन्हों पर थे , हैं और रहेंगे …जिसको जो करना है कर ले…।

8 ) कृष्ण अवतार – बहुमुखी प्रतिभा के धनी कृष्ण अवतार नाट्य विधा के कलाकारो की नस्ल शौकिया रंगकर्म में लगभग खत्म होने के कगार पर है। वजह ? आजकल इलेक्ट्रोनिक मीडिया में ऐसे प्रतिभावानों की बखत है और वहां फाका – मस्ती नहीं ..रोकड़ा मिलता है , भले ही नब्बे दिन बाद मिले और चेक बाउंस हो। खैर… अपन तो मंच की बात पर लौट आते हैं।
मंच पर कृष्ण अवतार कलाकार कुछ नया ही कर गुजरता है। कई बार तो निर्देशक भी इसकी कल्पना शक्ति से हतप्रभ रह जाता है , अरे ये बंदे ने क्या कर दिया …एकदम अलग।
शो के दिन मंच पर कुछ नया कर गुजरने की ललक से बाकी कलाकार लड़खड़ा जाते हैं , नाटक की नैया डोलने लगती है लेकिन कृष्ण अवतार कलाकार इसे भी सम्हाल लेते हैं। जैसे युद्ध भूमि में अर्जुन की तो पुंगी बज गई थी , सम्हाला किसने इसी कृष्ण ने।
सर्वगुण संपन्न , बहुमुखी प्रतिभा के धनी कृष्ण अवतार कलाकार आजकल खाली समय में टिक – टाक टाइप चीज बनाकर रोज फेस बुक पर डालते रहते हैं।

9 ) बुद्ध अवतार – बुद्ध अवतार नाट्य कलाकार तथागत की तरह अपने घर द्वार को त्याग कर नाट्य तपस्या में जी जान से जुट जाते हैं। लगातार लगे रहने की वज़ह से ये एक मकाम हासिल कर ही लेते हैं। फिर दोस्तों की राय से मुंबई – दिल्ली कूच कर जाते हैं। कई जगह से धक्के खाने के बाद भी इनको अकल नहीं आती। कभी कुछ हासिल हो भी जाता है , मसलन किसी सीरियल में छोटी सी भिखारी की भूमिका या किसी फिल्म में ढकी हुई लाश की भूमिका। अपने इलाके में अपने वक्त में इनकी गिनती नामी गिरामी कलाकारों में होती है। उम्र ढलने जब लगती है ये आत्मग्लानि से पीड़ित होकर कई तरह के नशों के आदी हो जाते हैं। उस वक्त इनका सहारा यादें और सिर्फ यादें ही होती है। जो ये एकांत में रात के समय शहर के किसी नाट्यगृह की धूल भरी सीढ़ियों पर चकने और पव्वे के साथ जिंदा करते रहते हैं।

( पांचवी किश्त कल )

आलेख का पहला भाग

आलेख का दूसरा भाग

आलेख का तीसरा भाग

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