भिलाई। बीएसएफ का यह जवान पिछले काफी समय से पेट की तकलीफ से गुजर रहा था. उसे दिन में 20 से 25 बार लेट्रीन की तलब तो लगती पर पेट कभी साफ नहीं होती. भोजन में पूरी तरह अरुचि हो चुकी थी. खाना खाते ही उलटियां हो जाती थी. रायपुर के दो बड़े अस्पताल ने उसे पाइल्स बताया था पर उसे आशंका थी. हाईटेक हॉस्पिटल पहुंचने पर उसकी आशंका सच साबित हुई. उसकी बड़ी आंत में छाले थे.
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि पाखाने के साथ खून जाता देखकर ही डाक्टरों ने संभवतः इसे पाइल्स (बवासीर) समझ लिया था. पर पखांजूर में तैनात 51 वर्षीय इस जवान के सवालों के जवाब उनके पास नहीं थे. वह जानना चाहता था कि क्या आपरेशन के बाद उसकी भोजन और पेट की समस्या भी दूर हो जाएगी. जब इसका जवाब कहीं नहीं मिला तो वह हाइटेक अस्पताल पहुंचा. जनवरी से अप्रैल के बीच वह कई बड़े अस्पतालों में दिखा चुका था.
यहां जवान की जांच कोलोनोस्कोप से की गई. कोलोन के तीनों हिस्सों की दीवारों पर हल्के से लेकर गहरे छाले दिखाई दिए. मल के साथ रक्त के आने की मुख्य वजह यही छाले थे. जवान को बवासीर या भगंदर की शिकायत नहीं थी. रक्तस्राव के कारण का पता लगते ही औषधियों से उनका इलाज शुरू कर दिया गया. 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक उसे अस्पताल में भर्ती रखकर उसका इलाज किया गया. वह काम पर लौट गया है और अब पूरी तरह स्वस्थ है. उसकी भूख लौट आई है और अब पाचन संबंधी कोई समस्या भी नहीं है.
डॉ आशीष ने बताया कि मरीज को लंबे समय तक औषधि पर रहना पड़ेगा. दवाइयां एक-एक कर कम होती चली जाएंगी और फिर पूरी तरह बंद होंगी. तब तक जवान को प्रत्येक माह एक बार चेकअप के लिए आने की सलाह दी गई है.