दुर्ग। शासकीय डॉ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में समाज शास्त्र एवं गृह विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में श्रमिक दिवस के अवसर पर बोरे-बासी के महत्व पर कार्यक्रम एवं विभिन्न प्रतियोगितायें आयोजित की गई। कार्यक्रम संयोजक डाॅ. रेशमा लाकेश ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी को छत्तीसगढ़ी संस्कृति एवं परम्पराओं से परिचित कराने एवं उनके महत्व की जानकारी देने यह आयोजन किया गया.
उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में श्रमिकों एवं मजदूरों में बोरे-बासी खाने की पुरानी परम्परा है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि यह विशेष दिन श्रमिकोे ंको उनकी मेहनतऔर दृढ़ संकल्प को मनाने के लिए समर्पित किया गया है।
इसको विशेष बनाने के लिए बोरे-बासी दिवस को इसमें सम्मिलित किया गया है. बोरे-बासी खाने की प्राचीन परम्परा है जो कि सम्पूर्ण पौष्टिक भोजन है।
डाॅ. मोनिया राकेश सिंह ने कहा कि श्रमिकों के योगदान को पहचाननेऔर उनके कार्य का सम्मान करने के लिए पूरे विश्व में श्रमिक दिवस मनाया जाता है। स्नातकोत्तर कक्षा की छात्रा मनीष धृतलहरे ने बताया कि बोरे बासी को अधिक स्वादिष्ट बनाने चेंचभाजी, लहसुन मिर्च की चटनी और आम का आचार का प्रयोग होता है। शीतल पारधी ने बोरे-बासी एवं दही के पौष्टिक महत्व पर प्रकाश डाला। भिनेश्वरी सोनवानी ने कहा कि बोरे-बासी का गर्मियों में खाये जाने वाला पंसदीदा भोजन है। उन्होंने कहा कि गर्मियों के दिनों में प्यास बहुत लगती है परन्तु बासी शरीर को ठंडक पहुँचाता है, साथ ही इसमें आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम की भरपूर मात्रा है।
डाॅ. ऐलिजाबेथ भगत, डाॅ. सुषमा यादव, डाॅ. ऋतु दुबे, डाॅ. मीनाक्षी अग्रवाल, डाॅ. मुक्ता बाखला, डाॅ. यशेश्वरी ध्रुव, ज्योति भरणे, माज़दा खातुन, रश्मि नौरंगे, वर्षा त्रिपाठी, रीता शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन तबस्सुम ने किया।
इस अवसर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया.
प्रतियोगिता में मनीषा धृतलहरे ने प्रथम स्थान तथा कावेरी कुम्भकार एवं चन्द्रलता ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। डी. ऊषा तरनी, भाग्यश्री गोरले ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वहीं सांत्वना पुरस्कार मधु बंजारे, भिनेश्वरी सोनवानी एवं शीतल पारधी को प्रदान किया गया।