भिलाई. कला साहित्य अकादमी द्वारा हुडको के रविन्द्र निकेतन में आयोजित लघु सांगीतिक कार्यशाला में दिग्गजों द्वारा गायन एवं नाट्य से जुड़े कलाकारों को महत्वपूर्ण टिप्स दिये जा रहे हैं. कार्यशाला की तीसरे दिन प्रसिद्ध अभिनेता एवं निर्देशक गुलाम हैदर मंसूरी ने उच्चारण की शुद्धता के संबंध में कई बारीकियां बताईं.
अंग्रेजी के वर्णों से हिन्दी के वर्णों को जोड़ते हुए उन्होंने उच्चारण की कई विसंगतियों की तरफ प्रशिक्षार्थियों का ध्यान आकर्षित किया. साथ ही अक्षरों में नुक्तों की बारीकियां बताईं. क और क़स ख और ख़, ज और ज़ के भेद बताए तथा इन्हें साधने के उपाय भी बताए.
प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार पीटी उल्हास कुमार ने गायन में माइक्रोफोन के इस्तेमाल की विधि बताई. उन्होंने कहा कि गायक को सबसे पहले अपने सांसों की क्षमता बढ़ाकर उसपर नियंत्रण सीखना पड़ता है. उन्होंने आवाज के विभिन्न स्तरों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि ताल का ज्ञान सबसे पहले जरूरी है. गाते समय यदि ताल कटा तो संगीत प्रेमी श्रोता भी कट जाते हैं. सुरों को अभ्यास और संगत से साधा जा सकता है.
इस अवसर पर प्रशिक्षुओं के अलावा कला साहित्य अकादमी के संयोजक शक्तिपद चक्रवर्ती, लघु सांगीतिक कार्यशाला की नियमित प्रशिक्षक सोनाली सेन एवं मनीषा मल्होत्रा, पीटी उल्हास कुमार, सुमिता सरकार, डॉ मनोज खन्ना, जय प्रकाश नायर, श्रवण कुमार, दीपक रंजन दास, नीतेश केडिया, बबलू विश्वास, विजय शर्मा, आयुषी बलैय्या, आदि उपस्थित थे.