एक तरफ जहां शहरी आबादी इस भीषण गर्मी में भूजल को सड़कों पर बहाकर घर शुद्ध कर रही हैं वहीं गांव-गांव और पहाड़ों पर वर्षा जल को छेंकने की कोशिशें की जा रही हैं. यह छत्तीसगढ़ सरकार के नरवा-गरुवा-घुरवा-बाड़ी के अनुरूप भी है. शहरी आबादी जहां बोरिंग से निकले पानी को अपनी बपौती समझती है वहीं ग्रामीणों को भूजल और उसकी कीमत का खूब अंदाजा है. इसीलिए तो इस चिलचिलाती धूप में भी वे मनरेगा की मामूली मजदूरी पर तालाबों का गहरीकरण कर रहे हैं.
43 डिग्री तापमान के बीच मनरेगा का काम गांव-गांव में चल रहा है. बालोद के ग्राम पसौद में 150 मजदूर तालाब गहरीकरण में लगे हैं. काम अब पूर्णता की ओर है. वहीं जगदलपुर के लोहांडीगुड़ा ब्लाक के छिंदबाहर इलाके में 150 से ज्यादा परिवारों ने एक पहाड़ पर तालाब बना दिया. लुतु पखना (मिचनार) पहाड़ की उंचाई करीब 801 मीटर है. रेंजर प्रकाश ठाकुर ने बताया कि कैंपा मद से स्थानीय लोगों की मदद से ही इस पहाड़ पर तालाब बनाया गया है. इस पहाड़ के आसपास कई जंगली जानवरों जैसे तेंदुआ, जंगली सूअर, खरगोश, लकड़बग्घा, भेड़ियों का भी रहवास है. 22 हजार वर्गफीट में बने इस तालाब की गहराई 20 फीट है. इसमें 85 लाख लिटर पानी रोका जा सकता है. 730 दिन की कड़ी मेहनत से 150 परिवारों ने श्रमदान कर इसे तैयार किया है.