भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में यूजीसी के दिशा निर्देशानुसार नई शिक्षा नीति से परिचित कराने के उद्देश्य से शार्ट वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में यूजीसी द्वारा नई शिक्षा नीति से संबंधित प्रश्न पूछे गये थे इनमें से किसी एक प्रश्न का उत्तर देते हुए विडियो बनाना था। जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया व नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त किये। जो विद्यार्थियों की जागरूकता का प्रतीक है। अदिती, रूहि कुजुर एमएससी प्रथम सेमेस्टर बायोटेक ने पूछे प्रश्न अपने जॉब के लिये इन्टरशीप करना क्यों जरूरी है इसका जवाब देते हुए कहा जॉब के लिए डिग्री कॉफी नहीं होता है, इन्टरशीप से हम स्किल सीखते है, हम लोगों से मिलते है, इससे प्रोफेशनल कनेक्शन बना सकते है, हम समय पर व दबाव में काम करना सीखते है। रश्मि साहू एमएससी तृतीय सेमेस्टर बायोटेक, ने नई शिक्षा नीति क्या है, पर प्रकाश डालते हुये बताया पहले हमारी शिक्षा प्रणाली 10+2+3 थी अब यह 5+3+3+4 हो गया है चार साल का चौथे वर्ष में अलग-अलग विषय व अलग-अलग डिग्री लेने का मौका मिलेगा।
फूलप्रीत कौर बीएससी प्रथम गणित की छात्रा ने बताया नई शिक्षा नीति से शिक्षा में क्या बदलाव आयेगा उसकी विस्तार से जानकारी दी व बताया छठवीं से व्यवसायिक परीक्षण इंटरशीप प्रारंभ होगा। विद्यार्थी अपनी इच्छा से कोई भी विषय ले सकते है इसके अतिरिक्त अदिती फूलझेले बीएससी तृतीय, प्रिया एमएससी तृतीय सेमेस्टर, सपना शर्मा एमएससी तृतीय की वीडियो की भी सराहना की गई। प्रभारी स.प्रा. कामिनी शर्मा ने बताया नई शिक्षा नीति लागू की जाने वाली है। इसके प्रति विद्यार्थियों को जानकारी प्रदान करने व जागरूक करने के उद्देश्य से यूजीसी द्वारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों के मन से संशय दूर होगा।
स्वरूपानंद महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा, ने कहा कि यूजीसी द्वारा आयोजित ऐसे प्रतियोगिता से विद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी एवं विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को सही प्रपेक्ष्य में समझ पायेगे। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा शारीरिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। वोकेशनल तथा एकेडमिक स्ट्रीम को अलग नहीं किया जायेगा जिससे छात्रों में दोनो क्षमता विकसित हो।