भिलाई। एमजे कालेज में वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरू गोविन्द सिंह के परिवार द्वारा दी गई शहादत की चर्चा की गई. महाविद्यालय की उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को गुरू गोविन्द सिंह के परिवार द्वारा आजादी और स्वाभिमान के लिए दी गई शहादत के बारे में बताया. विद्यार्थियों ने भी इस अवसर पर अपने विचारों को साझा किया.
एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के निर्देश एवं प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ भाटिया ने बताया कि सिखों के दसवें और अंतिम गुरू गुरू गोविन्द सिंह ने मुगलों को लोहे के चने चबवा दिये थे. तब मुगलों ने कूटनीति का सहारा लिया. उन्होंने गुरू गोविन्द्र सिंह को आनंदपुर साहिब का किला छोड़ने का प्रस्ताव दिया. जब गुरू गोविन्द सिंह अपने परिवार के साथ किले से निकले तो मुगलों ने उनपर हमला कर दिया. गुरू गोविन्द सिंह और उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह चमकोर तक पहुंच गए. वहीं माता गूजरी अपने दो छोटे बेटों 9 साल के जोरावर और 7 साल के फतेह को लेकर एक गुफा में जा छिपीं. लंगर के एक सेवादार ने मुखबिरी कर उन्हें मुगलों से पकड़वा दिया. उनपर इस्लाम को स्वीकार करने के लिए जोर जबरदस्ती की गई पर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद जोरावर और फतेह को दीवार में जीवित चुनवा दिया गया. उधर चमकोर के किले पर भी हमला हुआ जिसमें अजीत सिंह और जुझार सिंह शहीद हो गए. इसकी याद में सिख समाज 22 से 26 दिसम्बर तक शहीदी पर्व मनाता है. ये शहीद आज भी अपने देश, अपने धर्म से अटूट प्रेम की प्रेरणा देता है.
इस अवसर पर विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रवीण कुमार, वाणिज्य संकाय की सहा. प्राध्यापक स्नेहा चंद्राकर एवं विद्यार्थीगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे.