भिलाई। अधिकांश विद्यार्थी केवल अच्छे ग्रेड्स के साथ पास होने के लिए अध्ययन करते हैं. माता-पिता और शिक्षक भी इसी बात पर जोर देते हैं कि अच्छे से पढ़ लिख लो तो भविष्य सुरक्षित हो जाएगा. पर जब ऐसे बच्चों से साक्षात्कार के दौरान पूछा जाता है कि वो किस रोल में खुद को फिट देखते हैं, तो अकसर उनके पास कोई जवाब नहीं होता. इस परिपाटी को बदलना होगा.
उक्त बातें बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन एक्सपर्ट श्रीनिवास पटनायक ने आज एमजे कालेज में कहीं. वे “कारपोरेट टू कैम्पस” विषय पर बोल रहे थे. श्री पटनायक महाविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के सहयोग से आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज का विद्यार्थि भाग्यशाली है कि उसके पास इंटरनेट जैसा शक्तिशाली टूल है जिसकी मदद से वह किसी भी तरह की जानकारी हासिल कर सकता है. पर 25 साल पहले उनका दौर ऐसा नहीं था.
श्री पटनायक ने बताया, उन्हें नहीं पता था कि नौकरी कहां मिलेगी. उन्हें यह भी नहीं पता था कि वे करना क्या चाहते हैं. नौकरी देने में सक्षम संस्थानों की पहचान करने के लिए वे ग्लास डोर वाले संस्थानों के चक्कर काटते थे. उन्होंने उस संघर्ष का भी जिक्र किया जिसके बाद उन्हें रिलायंस कंपनी में प्रवेश मिला. उन्होंने प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे मिलकर इस दिशा में प्रयास करें. विद्यार्थी जब डिग्री लेकर निकले तो उसे पता होने चाहिए कि उसे नौकरी कहां मिलेगी और वह करना क्या चाहता है.
आरंभ में प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने श्री पटनायक का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया. अंत में फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ दुर्गा प्रसाद पण्डा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन माधवी वर्मा ने किया.