• Thu. May 2nd, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

13 अगस्त को “सर्वधर्म” के नेतृत्व में होगा अंग-देहदान का महासंकल्प

Apr 1, 2024
SDSS declares 13th August for record body and organ donation declaration

भिलाई। सर्वधर्म सेवा संस्था के नेतृत्व में 13 अगस्त को अंगदान और देहदान के महासंकल्प का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. इसकी घोषणा भिलाई निवास के कॉफीहाउस सभागार में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान संस्था के अध्यक्ष प्रतीक भोई ने की. इस मौके पर श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के डीन डॉ प्रकाश वाकोडे तथा एनाटॉमी विभाग की एचओडी डॉ अंजलि वन्जारी विशिष्ट अतिथि थे.
श्री भोई ने बताया कि अंगदान से प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसी तरह देहदान से भावी डाक्टरों को पढ़ाई में मदद मिलती है. उन्होंने बताया कि पिछले 8 साल में देश में 6.68 करोड़ लोगों ने देहदान करने की वसीयतें की हैं. संस्था ने इसी साल 13 अगस्त को एक ही दिन में कम से कम डेढ़ करोड़ लोगों से देहदान का संकल्प कराने का लक्ष्य रखा है.


श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के डीन डॉ प्रकाश वाकोडे एवं एनाटॉमी विभाग की एचओडी डॉ अंजलि वन्जारी ने देहदान एवं अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी. डॉ वाकोडे ने बताया कि मृत शरीर को मेडिकल साइंस कितना सम्मान देता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोस्टमार्टम रूम में लिखा हुआ होता है कि जीवन मनुष्य को सर्जरी के दौरान तकलीफ तो होती है पर यह उसके अपने भले की लिए होती है पर जब मृत शरीर की सर्जरी की जाती है तो वह पूरी मानव जाति की भलाई के लिए होती है.
डॉ अंजलि ने बताया कि जब ईश्वर ने मानव शरीर को भीतर एवं बाहर से एक जैसा बनाया है तो धर्म के नाम पर विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए. उन्होंने आयोजक संस्था के सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत की प्रशंसा की. उन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद एक घंटे के भीतर नेत्रदान करना होता है. किडनी और लिवर जैसे अंगों को मौसम के तापमान के अनुसार 6 से 8 घंटे के भीतर निकालना होता है. संक्रामक रोगों की स्थिति में यह अवधि अलग हो सकती है.
सवालों का जवाब देते हुए चिकित्सकों ने बताया कि अंगदान करने वाले की देह मेडिकल अध्ययन के लिए उपयोगी नहीं रह जाती. मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को सबसे पहले मृतदेह का सम्मान करना सिखाया जाता है. देहदानियों के शव मेडिकल विद्यार्थियों का पहला गुरू होता है.
पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के बर्न यूनिट के प्रमुख डॉ उदय कुमार ने जीवन तथा जीवन की गुणवत्ता की रक्षा में त्वचा दान के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने जेएलएन हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में स्थापित स्किन बैंक के बारे में भी सारगर्भित जानकारी दी.
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने इस अवसर पर राजा शिबि से लेकर ऋषि दधीची तक का उदाहरण देकर अंगदान एवं देहदान के महत्व को प्रतिपादित किया. उन्होंने संस्था के ध्येय वाक्य पर्यावरण और भाईचारा की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और विश्व बंधुत्व के द्वारा ही मानव जाति का कल्याण हो सकता है.
इससे पूर्व संस्था के अध्यक्ष प्रतीक भोई ने सभी उपस्थित जनों को होली, रमजान, ईस्टर एवं उत्कल स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि देहदान को लेकर एक रिकार्ड बना है. हमें उससे भी बड़ा रिकार्ड बनाना है. इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है.
संस्था के मार्गदर्शक पूर्व पुलिस अधिकारी वीरेन्द्र सतपथी ने देहदान एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि जब लोग ऐसा सोचने लगते हैं कि सभी तो कर रहे हैं, मेरे अकेले के नहीं करने से क्या होगा तो भारी गड़बड़ हो जाती है. एक बार सभी से एक ड्रम में दूध डालने को कहा गया. एक व्यक्ति ने सोचा कि मैं एक लोटा पानी डाल देता हूँ, पता भी नहीं चलेगा. जब ड्रम भरने के बाद उसमें झांका गया तो वहां केवल पानी था.
मंच पर उपस्थित पद्मश्री शमशाद बेगम ने अपनी पूरी टीम को देहदान एवं अंगदान के लिए प्रेरित करने और 13 अगस्त को सामूहिक संकल्प लेने के लिए तैया करने का वचन दिया. कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका दास ने किया.
इनका हुआ सम्मान
इस अवसर पर अंगदान एवं देहदान का संकल्प लेने के लिए डॉ हंसा शुक्ला, सुनंदा मुमताज, सुशांत पाल, मिनती पाल, ललित कुमार पटनायक, गायत्री गोस्वामी, स्वतंत्र तिवारी, ग्लोरी पारकर, रामजी गायकवाड़, बीएस मूर्ति, बी पोलम्मा, मोहन यादव, तारा शर्मा, पद्मा राव, शशि रेखा, सुनीता दत्ता, राजेश भोई, शीला भोई, राजेन्द्र बंजारे, प्रशांत सोनारे, सावित्री देवी गोस्वामी, मनीषा नथानी तथा विजय कुमार का सम्मान किया गया. मौके पर हिन्दू, सिख, ईसाई एवं मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों का भी सम्मान किया गया.

Leave a Reply