माता सरस्वती के अवतरण दिवस पर भौतिकी विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. डर्क पॉलमैन, प्राध्यापक घेंट विश्वविद्यालय, बेल्जियम प्रभारी प्राचार्य डॉ. एम.ए. सिद्दीकी कार्यशाला संयोजक डॉ पूर्णा बोस सचिव डॉ. जगजीत कौर सलूजा द्वारा ज्ञान, बुध्दि एवं विद्या दायिनी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। समस्त अतिथियों का स्वागत भौतिक शास्त्र विभाग के सदस्यों द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना एवं सरस्वती गीत एम.एससी द्वितीय सेमेस्टर से भावना, भारती, ओजस्वी एवं आंचल भावे द्वारा तथा अभिनंदन गीत अदिति सिंह, वेदिका रानी एवं मुक्ति वर्मा द्वारा किया गया।
कार्यशाला सचिव डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने इस दो दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा बताते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों एवं विदेश से आये हुए वैज्ञानिकों के आपसी परिचर्चा का माध्यम है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को सही दिशा देकर उन्हें शोध से जोड़ना है, जिससे देश का भविष्य उज्जवल हो सके। उन्होंने कहा भौतिकी बाकी विज्ञान को दिशा निर्देश देती है तथा यह समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित करती है। इसके बिना हम बहुआयामी चित्र की कल्पना भी नही कर सकते। हम मोबाईल टेलीविजन में अद्भुत पदार्थ का प्रयोग करते है, उन सबमें मटेरियल साईंस एवं नैनो पदार्थ का योगदान है। उन्होंने कहा बदलाव प्रकृति का नियम है। प्रकृति के इस नियम को हमें भी अपनाकर समय के मुताबिक चलना चाहिए।
डॉ. पूर्णा बोस ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस कायर्षाला में कुछ विषेष पदार्थों का चयन किया गया है। विज्ञान के शोध आम आदमी के जीवन स्तर को उपर उठाने के लिए होना चाहिए तभी उसकी सार्थकता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के पदार्थों एवं उनके अद्भुत गुणों से अवगत कराया तथा मटेरियल्स साईंस की उपयोगिता के बारे में बताया। बेल्जियम से आये हुये डॉ. डर्क पॉलमैन ने उच्च तरंगदैर्ध्य फास्फर पदार्थों तथा उनकी उपयोगिता तथा किस प्रकार उच्च दक्षता वाले प्रकाष को प्राप्त किया जा सकता है को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने आंख की सुग्राहिता को ग्राफ द्वारा भी समझाया। उन्होंने किस प्रकार नीले तथा सफेद प्रकाष उत्र्सक डायोड तथा बचत उर्जा सफेद प्रकाष स्त्रोत में फास्फर मटेरियल की उपयोगिता बताते हुए एम.एन. बेस फास्फर मटेरियल के बारे में बताया।
बी.आई.टी. रायपुर से आये हुये डॉ. विकास दुबे ने लुमिनिसेंस पदार्थों का चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़ी नवीनतम शोध का उल्लेख किया। उन्होंने विद्याथिर्यों से कहा कि हम सबको अपने सीमित दायरे से निकलकर क्वान्टम कणों की तरह सोचना चाहिए तथा किस प्रकार हम समाज को अपने शोध की उपयोगिता के बारे में बता सकें। कार्यक्रम का संचालन प्रतीक्षा तिवारी द्वारा किया गया। एम.एससी अंतिम से लक्ष्मी प्रसाद मिश्रा ने आरडीनो प्रोग्रामिंग तथा इसकी संरचना एवं कार्यविधि को समझाया। इसके साथ अल्ट्रासोनिक सेंसर के बारे में बताया। एम.एससी अंतिम से प्रतीक्षा तिवारी ने डार्क मैटर के अस्तित्व तथा मूलकणों को समझाया। एम.एससी प्रथम से समता सलेचा ने प्रकाष के दोहरे चरित्र का प्रायोगिक प्रदर्षन समझाया। एम.एससी प्रथम से आकर्षित ने अल्ट्रा सोलर ग्रहों के बारे में बताया। इस अवसर पर डॉ. पूर्णा बोस, डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. अनीता शुक्ला, डॉ. सीतेष्वरी चन्द्राकर, डॉ. अभिषेक मिश्रा, डॉ. आर.के. मिश्रा समस्त शोध छात्र के साथ बड़ी संख्या में छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे। इस अवसर पर बी.एससी द्वितीय वर्ष के लिए वस्तुनिष्ठ प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुये विद्याथिर्यों को पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। नीतिष एवं नारायणी ने प्रथम, लक्की ने द्वितीय, खुषबू साहू ने तृतीय, आनंद कुषवाहा ने चतुर्थ तथा राधिका देवांगन, हेमीन एवं गौतम सिंह ने संयुक्त रूप से पांचवा स्थान प्राप्त किया।
प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम से वैज्ञानिक सोच के साथ विद्याथिर्यों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि एक बार लक्ष्य निर्धारित करें एवं दृढ़ इच्छा शक्ति से कार्य को शुरू करें एवं उसे पूर्ण करके ही रूकना चाहिए, इससे आत्मविष्वास बढ़ता है। उन्होंने विद्याथिर्यों एवं प्राध्यापकों के सुखद भविष्य की कामना करते हुए बसंत पंचमी की शुभकामनायें दी।