भिलाई। नैक मूल्यांकन हेतु प्राइवेट कॉलेजों को उच्च शिक्षा विभाग ने समय आधारित लक्ष्य दिया है। उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त शारदा वर्मा ने आज कहा कि प्रत्येक पात्र निजी महाविद्यालय का नैक मूल्यांकित आवश्यक है। इससे एक ओर जहां अनुदानित महाविद्यालयों को रूसा ग्राण्ट प्राप्त करने में सुविधा होती है वहीं दूसरी ओर अच्छे नैक ग्रेड वाले निजी महाविद्यालयों में सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ साथ विद्यार्थियों की प्रवेश संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
उच्च शिक्षा आयुक्त आज हेमचंद यादव विष्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार प्राइवेट कॉलेज हेतु नैक मूल्यांकन की नई प्रणाली विषय पर केन्द्रित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त कर रहीं थीं। श्रीमती वर्मा ने कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में लगभग साठ से अधिक निजी महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं आईक्यूएसी समन्वयक को संबोधित करते हुए कहा कि निजी महाविद्यालयों को अपनी दक्षता को पहचानना चाहिए। निजी महाविद्यालयों के संचालक मण्डल को भी नैक के मूल्यांकन का महत्व समझना चाहिए।
इस एक दिवसीय कार्यशाला के आरंभ में अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशान्त श्रीवास्तव ने नैक मूल्यांकन की आवश्यकता, इसके महत्व तथा प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप ने पौधे, सुसज्जित श्रीफल तथा शॉल भेंट कर समस्त अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में कुलसचिव ने सभागार में उपस्थित समस्त निजी महाविद्यालयों के प्राचार्यों से आग्रह किया कि वे उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन की मंशा के अनुरूप अपने अपने महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन शीघ्र करावें।
अपर संचालक, उच्च शिक्षा दुर्ग संभाग डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने अपने संबोधन में उपस्थित महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन करवाने के महत्व को विस्तार से समझाया।
कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई के नवनियुक्त प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल ने महाविद्यालय की ओर से अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने महाविद्यालयों में नैक मूल्यांकन के दौरान आने वाली बाह्य विशेषज्ञ टीम के विजिट के दौरान महाविद्यालयों को ध्यान में रखने वाले बिंदुओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। डॉ. पल्टा के संबोधन से नैक मूल्यांकन कराने वाले महाविद्यालयों को बहुत ही व्यवहारिक जानकारी प्राप्त हुई। अनेक प्रतिभागी प्राचार्यों तथा आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों ने प्रष्न पूछ कर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया।
द्वितीय सत्र में तीन आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किए गए। इनमें प्रथम व्याख्यान नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में महाविद्यालयों का पंजीकरण, नैक की नई मूल्यांकन पद्धति तथा अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय उच्च शिक्षा गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. जीए घनश्याम ने सारगर्भित जानकारी दी। द्वितीय व्याख्यान में शासकीय डीबी गर्ल्स कॉलेज रायपुर के प्राध्यापक डॉ उषा किरण अग्रवाल ने नैक मूल्यांकन के क्राइटेरिया क्रमांक 1, 2, 3, 4 के संबंध में महाविद्यालय के प्राचार्यों एवं नैक समन्वयकों को विस्तार से जानकारी दी। तृतीय आमंत्रित व्याख्यान में साइंस कॉलेज दुर्ग की डॉ जगजीत कौर सलूजा ने नैक मूल्यांकन के क्राइटेरिया क्रमांक 5, 6, 7 के संबंध में अपना उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रीता लाल, संचालक, महाविद्यालय विकास परिषद ने किया। कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने समस्त प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया।