शुक्रवार को गंगरेल मड़ई का आयोजन मां अंगारमोती मंदिर परिसर में हुआ. मड़ई में 52 गांवों के देवी-देवता शामिल हुए. पूजा-अर्चना कर नि:संतान महिलाओं ने पेट के बल लेटकर संतान प्राप्ति की कामना की. मड़ई का आनंद उठाने क्षेत्र के हजारों लोगों की भीड़ शामिल हुए. धमतरी जिले के गंगरेल बांध के निकट स्थित इस मंदिर की मड़ई दूर-दूर तक प्रसिद्ध है जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. महिलाएं यहां पेट के बल लेटकर संतन की मन्नत मांगती हैं. उनकी पीठ पर से गुजर कर बैगा आशीर्वाद देते हैं.
मां अंगारमोती शक्तिपीठ गंगरेल में श्रद्धालुओं की आस्था सैकड़ों वर्षों से है. दिवाली के बाद पड़ने वाले पहले शुक्रवार को यहां मड़ई का आयोजन किया जाता है. इस मड़ई में डुबान क्षेत्र समेत अन्य जिलों के देवी-देवता शामिल होते हैं. यहां पहुंचे बैगा हाथ में त्रिशूल, कासल, सांकल आदि रख संस्कृति का प्रदर्शन किया. युवक मड़ई लेकर उनकी अगुवाई करते रहे. जगह-जगह इनकी पूजा-अर्चना भी की गई. वहीं अंगारदेवता पारंपरिक बाजे की थाप पर थिरकते रहे.
मड़ई का मुख्य आकर्षण 52 गांवों से पहुंचने वाले देवी-देवता रहते हैं, जिन्हें विधि-विधान के साथ मां अंगारमोती के दरबार में आमंत्रित किया जाता है. इन देवी-देवताओं के साथ आंगा देवता भी आते हैं. 100 से अधिक नि:संतान महिलाओं ने संतान प्राप्ति के लिए मां अंगारमोती के दरबार में पेट के बल लेटकर मन्नत मांगी. इससे पहले इन्हें जल-चढ़ाकर संतान प्राप्ति की कामना की. प्रमुख बैगा लेटी हुई महिलाओं की देह पर से होकर गुजरे और आशीर्वाद दिया.
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