दुर्ग. असंगठित क्षेत्र के ठेका श्रमिक पर्याप्त शिक्षा के अभाव में शासन की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं. यही वजह है कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में अपेक्षित परिवर्तन नहीं देखा जाता है. ऐसे मजदूरों की आकस्मिक चिकित्सकीय आवश्यकताओं के लिए आर्थिक सहयोग की योजना की महति आवश्यकता होती है. यह निष्कर्ष समाजशास्त्र में शोध कर रहे पीएचडी शोधार्थी देवेश कुमार मेश्राम ने निकाला है.
‘असंगठित ठेका श्रमिकों की स्थिति का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन बालोद जिले के दल्लीराजहरा माइंस के विषेष संदर्भ में’ विषय पर यह शोध शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग शोधकेन्द्र के शोधार्थी देवेश कुमार मेश्राम ने किया है. उन्होंने अपना शोध सहायक प्राध्यापक, डाॅ. सपना शर्मा सारस्वत के मार्गदर्शन में किया है. यह जानकारी आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में पीएचडी मौखिकी (वायवा) के दौरान सामने आई.
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं पीएचडी सेल प्रभारी, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि पीएचडी वायवा के दौरान बाह्य परीक्षक के रूप में डाॅ. अवधेष प्रताप सिंह, विश्वविद्यालय, रीवा के डाॅ. महेश शुक्ला ने शोधार्थी देवेष कुमार मेश्राम से शोध प्रबंध से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे जिनका शोधार्थी ने संतोषजनक उत्तर दिया.
डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि 07 अध्यायों में विभक्त शोधार्थी के पीएचडी थिसिस में प्रथम अध्याय में विषय का परिचय द्वितीय अध्याय में पूर्व शोध साहित्य का पूर्वावलोकन तृतीय अध्याय में उत्तरदाताओं की सामाजिक, आर्थिक एवं पारिवारिक पृष्ठ भूमि चतुर्थ अध्याय में ठेका श्रमिकों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास संबंधी नियम एवं कानून पंचम अध्याय में ठेका श्रमिकों की शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संबंधी सरकारी योजनाएं एवं समस्याएं षष्ठम् अध्याय में ठेका श्रमिकों के विकास संबंधी नीति में गैर सरकारी संगठन एवं मजदूर संगठनों की भूमिका तथा सातवें एवं अंतिम अध्याय में विषय से संबंधी निष्कर्ष एवं सुझाव का उल्लेख किया गया है.
शोधार्थी ने अपने निष्कर्ष में ठेका श्रमिकों में षिक्षा के कमी के कारण शासन के अनेक कल्याणकारी योजनाओं से वंचित होना पाया है साथ ही शासन की ओर से किसी भी प्रकार की दुर्घटना के दौरान आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने की अत्यंत आवष्यकता की ओर भी अपनी पीएचडी थिसिस के दौरान सबका ध्यान आकर्षित किया है. पीएचडी वायवा में उपस्थित विष्वविद्यालय की कुलपति, डाॅ. अरूणा पल्टा, शासकीय वीवायटी पीजी काॅलेज दुर्ग के प्राचार्य, डाॅ. आर.एन.सिंह, कुलसचिव, श्री भूपेन्द्र कुलदीप, समाजषास्त्र के विभागाध्यक्ष, डाॅ. राजेन्द्र चैबे, डाॅ. ए. के. खान, कल्याण पीजी महाविद्यालय, भिलाई के प्राचार्य, डाॅ. आर. पी. अग्रवाल, डीसीडीसी, डाॅ. प्रीता लाल, पीएचडी सेल प्रभारी, डाॅ. प्रषांत श्रीवास्तव, शासकीय वीवायटी पीजी काॅलेज, दुर्ग के डाॅ. शकील हुसैन आदि ने प्रष्न पुछकर शोधार्थी के मौखिकी में हिस्सा लिया.
विश्वविद्यालय परिसर के टैगोर हाॅल में आयोजित इस पीएचडी वायवा में आॅनलाईन तथा आॅफलाईन दोनों रूप से लगभग 100 से अधिक लोग उपस्थित थें. भौतिक रूप से उपस्थित होने वालों में विष्वविद्यालय के वित्त अधिकारी, सुशील गजभिये, उपकुलसचिव, राजेन्द्र चौहान, सहायक कुलसचिव, डाॅ. सुमीत अग्रवाल, हिमांषु शेखर मंडावी, दिग्विजय कुमार, डाॅ. भावना पर्बत तथा साइंस काॅलेज, दुर्ग से डाॅ. अश्वनी महाजन, डाॅ. सुचित्रा शर्मा, डाॅ. के पद्मावती, आदि उपस्थित थे.