रायपुर। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित साहित्य महोत्सव युवाओं के लिए संस्कृति तथा साहित्य के साथ जुड़ने का अनमोल अवसर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला आयोजन है और मुझे पूरा विश्वास है कि यह मील का पत्थर साबित होगा। श्री सुभाष घई ने यह बात मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ चर्चा के दौरान कही। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस आयोजन को एक परम्परा का रुप दें और अगले वर्ष से इसमें फिल्म महोत्सव को भी जोड़ें। चर्चा के दौरान जनसंपर्क संचालक रजत कुमार भी उपस्थित थे। श्री सुभाष घई ने कहा कि इतने कम समय में छत्तीसगढ़ में हुई प्रगति से वे अभिभूत हैं। >>छत्तीसगढ़ ने उद्योग, ऊर्जा तथा अधोसंरचना जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है और यह सही अवसर है, जब राज्य को कला-संस्कृति, साहित्य, शिक्षा और मनोरंजन उद्योग के क्षेत्र को भी साफ्ट पावर के रुप में उभरना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति, साहित्य और स्थानीय फिल्म में असीमित संभावनाएं हैं। हमें अगले दस-पंद्रह वर्षों को ध्यान में रख कर इसे मूर्त रुप प्रदान करने की योजना बनानी होगी।
मुख्यमंत्री ने श्री घई को बताया कि नया रायपुर में हमने एक सौ एकड़ का क्षेत्र फिल्म निर्माण और मनोरंजन गतिविधियों के उत्थान के लिए आरक्षित किया है। मुख्यमंत्री ने श्री घई से नया रायपुर का भ्रमण कर इसके विकास के लिए अपने सुझाव देने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने उन्हें बस्तर और राज्य के अन्य क्षेत्रों में फिल्म शूटिंग के लिए फिल्म निर्माताओं को भी प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।
केवल उपभोग के लिए जी रहा मनुष्य
राज्य के प्रसिद्ध साहित्यकार और समालोचक डॉ. गोरेलाल चंदेल ने कहा है कि आधुनिक समय जा चुका है और अब यह उत्तर आधुनिकता का युग है। छत्तीसगढ़ के परम्परागत लोक जीवन में भी उत्तर आधुनिकता का असर होने लगा है। कहीं रिश्तों में बिखराव आ रहा है, तो कहीं मानवीय मूल्यों में गिरावट आ रही है। पाश्चात्य देशों में यह धारणा पनपने लगी है कि मनुष्य के विचारों की मृत्यु हो चुकी है और इन्सान केवल उपभोग के लिए जीवित है। उन्होंने कहा कि ऐसी भावनाओं का असर समकालीन छत्तीसगढ़ी कहानियों में भी देखा जा सकता है। वे रायपुर साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन मुकुटधर पाण्डेय मंडप में विचार गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
व्यंग्य नाटकों में छत्तीसगढ़ी बेजोड़
गजानन माधव मुक्ति बोध मंडप में आज दूसरे दिन के सत्र में हबीब तनवीर का लोकरंग विषय पर बातचीत हुई। सूत्रधार के रूप में राजकमल नायक ने विषय प्रवर्तन किया। स्वर्गीय हबीब तनवीर की सुपुत्री और अभिनेत्री सुश्री नगीन तनवीर ने श्री हबीब तनवीर के रंगमंच की विकास यात्रा का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हबीब तनवीर का कहना था कि व्यंग्य नाटकों के लिए छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार बेजोड़ अभिनय करते हैं। श्री तनवीर ने अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक शेक्सपियर के नाटकों का भी मंचन किया था।
मुंशी प्रेमचंद के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी
रायपुर साहित्य महोत्सव में हिन्दी के महान कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचंद और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक परिदृश्य पर केन्द्रित छायाचित्र प्रदशर्नी यहां पुरखौती मुक्तांगन में साहित्यकारों तथा साहित्य प्रेमी नागरिकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। पुस्तक मेले में भी विभिन्न प्रकाशकों के स्टाल लगाए गए हैं। महोत्सव के दूसरे दिन आज भी बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदशर्नी का अवलोकन किया।
मुंशी प्रेमचंद पर केन्द्रित प्रदर्शनी में उनके चयनित पत्रों, पाण्डुलिपियों और पुस्तकों के प्रथम संस्करणों की छायाप्रतियां और उनके जीवन से संबंधित कई यादगार छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया है। हिन्दी के जाने-माने समालोचक और लेखक डॉ. कमल किशोर गोयनका ने प्रदशर्नी में मुंशी प्रेमचंद से जुड़े इन छायाचित्रों को प्रस्तुत किया है। डॉ. गोयनका द्वारा लिखित प्रेमचंद विश्वकोष सहित प्रेमचंद पर आधारित उनकी लगभग 20 शोधपरक और समीक्षात्मक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
राज्य सरकार के जनसम्पर्क विभाग द्वारा साहित्य महोत्सव के प्रदर्शनी परिसर में छत्तीसगढ़ के जन-जीवन की सांस्कृतिक विशेषताओं सहित राज्य के इतिहास और पुरातत्व और जैवविविधता पर केन्द्रित फोटो प्रदर्शनी भी लगायी गई है। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के पहाड़ों में प्राप्त हजारों वर्ष पुराने आदि मानवों के शैलचित्रों, राज्य की प्राकृतिक गुफाओं और उत्खनन में प्राप्त पुरातात्विक स्मारकों को भी प्रदर्शित किया गया है।