अहिवारा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संचालक बिसराराम यादव का मानना है कि केवल अज्ञानी ही गांधी का अपमान कर सकते हैं। स्वाधीनता आंदोलन में अनेक लोग अपने-अपने तरीके से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। इनकी राहें अलग थीं किन्तु लक्ष्य एक ही था। महात्मा गांधी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम किया तथा प्रत्येक वर्ग एवं व्यवसाय के व्यक्ति को इस आंदोलन से जोड़ दिया। श्री यादव अपने निवास पर संडे कैम्पस से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एक बेहतरीन उत्प्रेरक और संगठनकर्ता थे। पूरे देश के साथ ही विश्व में उनकी मान्यता थी। हां, यह बात जरूर अखरती है कि क्रांतिकारियों को उनका जो स्नेह-सहयोग मिलना चाहिए था, नहीं मिला किन्तु इससे गांधी छोटे नहीं हो जाते या उनका अपमान करने का किसी को अधिकार नहीं मिल जाता। उनकी निजी जिन्दगी को लेकर उनपर लांछन लगाना तो और भी गलत है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो स्वयं एक स्वयं सेवक हैं, ने महात्मा गांधी के प्रति अपनी भावनाओं को अपने कर्मों द्वारा व्यक्त कर दिया है। आगे पढ़ें
गांधी के खिलाफ विष वमन करने वाले लेखकों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए लोग ऐसा करते हैं। पर संघ कभी भी परनिंदा का समर्थन नहीं करता। हम राष्ट्र की सेवा करने के लिए एकजुट हुए हैं। हमारा लक्ष्य है भारतीय मूल्यों की स्थापना, अपने कर्मों से लोगों को प्रेरित करना तथा राष्ट्रसेवा से उन्हें जोडऩा। आज अनेक स्वयं सेवक अपने-अपने तरीके से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सच्ची सेवा करने के लिए राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव स्वयं में पैदा करना होगा। पुरखों, संस्कृति, भाषा और सभ्यता के प्रति गौरव का भाव जगाना होगा। हममे से प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी जगह बेहतर काम करते हुए राष्ट्र की सेवा कर सकता है। हम कोई नया काम शुरू कर सकते हैं या पहले से अच्छा काम कर रही संस्थाओं से जुड़ सकते हैं।
यह बुझते दीपक की भभक है
देश में फैलती पश्चिमी विशृंखलता, फैशन और पब संस्कृति का बोलबाला तथा परिधानों में टूटती मर्यादा को लेकर श्री यादव आशान्वित हैं कि यह सब जल्द ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि दीपक का धर्म है कि वह बुझने से पहले जोर से भभकता है। अपसंस्कृति के साथ भी ऐसा ही होगा। पश्चिम में भारतीय संस्कृति को लेकर गहरा आकर्षण देखा जा रहा है, ऐसे में वहां से उधार आई यह संस्कृति, खुद भारत में ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं हो सकती।
जघन्यतम अपराध और कानून
अपने जीवन के 55 साल संघ को दे चुके इस स्वयं सेवक ने कहा कि जघन्य एवं घृणित अपराधों में कानून ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। कानून का काम वैसे भी दोषी को सजा देना है। मूल कार्य तो समाज को करना है। आधुनिक आपाधापी के युग में चरित्र निर्माण का काम पीछे छूट गया है। शक्तिशाली और अधिकारप्राप्त लोग पथभ्रष्ट हो रहे हैं। हमें भारतीय सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्यों की पुनस्र्थापना के प्रयास तेज करने होंगे। इसमें परिवार एवं शिक्षण संस्थाओं की बड़ी भूमिका हो सकती है। कानून केवल इतना कर सकता है कि प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया पर आ रही गंदगी और अपराध का महिमामंडन करने वाली खबरों को रोके। इस दिशा में सरकार इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगी।
संस्कारों से विश्वगुरू बनेगा भारत
श्री यादव ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्य, पारिवारिक मूल्य, सामाजिक मूल्यों की पूनस्र्थापना होगी। लोगों में परिवार बोध लौटेगा। हमें अपने बच्चों का ध्यान रखना होगा, उनकी अच्छी परवरिश करनी होगी। हमें देखना होगा कि वह एकांतक न बने। इससे समाज पुष्ट होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इन्हीं मूल्यों के साथ भारत विश्वगुरु बनेगा।
संघ और महिलाएं
श्री यादव ने कहा कि मर्यादा के बंधन के चलते संघ की शाखाओं में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। हालांकि देशभर में महिलाओं की अलग शाखाएं चल रही हैं। राष्ट्रसेविका समिति की शाखाएं चलती हैं। हुडको में शालिनी ताई राजहंस एक ऐसी शाखा चलाती हैं। इनमें से अधिकांश साप्ताहिक हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं की शाखा का जोर दक्षिण में अधिक है। उत्तर भारत में इसका जोर अभी कम है। इसकी वजह संभवत: पारिवारिक ढांचा है।
स्वच्छता का अभ्यास
श्री यादव ने बताया कि पहले साफ सफाई समाज की जिम्मेदारी थी। सभी अपने अपने स्तर पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए सचेष्ट थे। बाद में सफाई का जिम्मा कर्मचारियों को दे दिया गया। धीरे-धीरे लोग लापरवाह होते चले गए और सफाई कर्मी कम पडऩे लगे। उन्होंने बताया कि स्कूल के दिनों में उनके साथ ही स्कूल के और बच्चे भी शाला भवन एवं परिसर को साफ सुथरा रखने के लिए श्रमदान करते थे। इसके बाद उन्होंने कुओं, तालाबों की सफाई का बीड़ा उठाया। वे दातुन, साबुन के रैपर आदि को बीनकर नष्ट कर दिया करते। फिर और लोगों ने भी हाथ बंटाना शुरू किया और फिर धीरे धीरे लोग सचेत हो गए और उन्होंने गंदगी फैलाना कम कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर स्वच्छता की बयार चली है। लोग इसके प्रति संवेदनशील हुए हैं और कई स्थानों पर परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
1969 में जुड़े संघ से
श्री यादव ने बताया कि वे गांधी से बेहद प्रभावित थे। 1963 से अहिवारा में योगेन्द्रनाथ भसीन ने साप्ताहिक शाखाएं लगानी शुरू कर दी थी। 1969 में वे भी संघ में शामिल हो गए और नियमित रूप से शाखा में जाना शुरू कर दिया। वे संघ के छिंदवाड़ा वर्ग में सम्मिलित हुए। इसके बाद उन्हें दायित्व दिए जाने लगे। पहले मंडल, फिर विकासखंड, तहसील, जिला से होकर अब वे प्रांत स्तर तक पहुंचे हैं।
संघ से प्रेरित हैं 36 संगठन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कोई आनुषांगिक इकाई नहीं है। हमारे स्वयं सेवक यदि राष्ट्र सेवा का कोई तरीका चुनकर उसपर आगे बढ़ते हैं तो संघ उनका मार्गदर्शन करता है। उनकी पीठ थपथपाकर उन्हें संबल प्रदान करता है। विद्याभारती, मजदूर संघ, धर्म जागरण मंच, वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती, सरस्वती शिशु मंदिर, राष्ट्र सेविका समिति सहित ऐसे लगभग 36 संगठन कार्य कर रहे हैं।
मोदी के आने के बाद संघ
श्री यादव ने बताया कि एक स्वयंसेवक के प्रधानमंत्री बनने से शाखाओं की उपस्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। लोग संघ के प्रति आकर्षित जरूर हुए हैं किन्तु वे शाखा से नहीं जुड़े हैं। शाखा में उपस्थिति पहले जैसी ही है।