भिलाई। इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर की डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. स्वर्णलता सर्राफ ने कहा कि हर्बल मेडिसिन्स के उपयोग का उल्लेख प्राचीन काल की चरक संहिता में मिलता है। छ.ग. राज्य हर्बल स्टेट होने की वजह से यहां लोगों में हर्बल मेडिसिन्स के सबंध में जागरूकता है परन्तु आज आवश्यकता इस बात की है कि इसे साइंटिफिक एप्रोच के माध्यम से प्रयोगशालाओं से निकालकर हर्बल मेडिसिन्स बनाने वाले उद्योगों तक पहुंचाया जाये। read more
डॉ सर्राफ रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल साइंसेस एण्ड रिसर्च (आरसीपीएसआर) में न्यूअर डायमेन्शन्स इन द डिलिवरी ऑफ फाईटो-फार्मास्यूटिकल्स पर छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी द्वारा प्रायोजित नेशनल सेमीनार के समापन सत्र को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम में संतोष रूंगटा समूह के डायरेक्टर टेक्निकल सौरभ रूंगटा, डायरेक्टर एफएण्डए सोनल रूंगटा, सेमीनार के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी मुकेश शर्मा, साइंटिफिक कमेटी इंचार्ज डॉ. कार्तिक नखाटे, प्रबंधक जनसंपर्क सुशांत पंडित सहित समस्त प्राध्यापकगण तथा स्टूडेंट्स उपस्थित थे।
आरसीपीएसआर के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. त्रिपाठी ने इस प्रकार के आयोजन को ज्ञान प्राप्ति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए हर्बल मेडिसिन्स के विविध उपयोगों की जानकारी दी। आरसीपीएसआर के वाईस प्रिंसिपल तथा संयोजक डॉ. एजाजुद्दीन ने सेमीनार के दो दिनों का ब्योरा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस आयोजन को अभूतपूर्व सफलता मिली। छत्तीसगढ़ सहित महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु तथा उद्योगों से भी शोध पत्र प्राप्त हुए तथा प्रतिभागियो ने भाग लिया। कुल 307 रजिस्ट्रेशन हुए जिसमें 175 एब्स्ट्रैक्ट्स में से चुने हुए 135 शोध-पत्रों के एब्स्ट्रैक्ट्स प्रकाशित किये गये। 100 ई-पोस्टर प्रेजेंटेशन हुए। बेस्ट तीन ई-पोस्टर्स को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम को डायरेक्टर आरसीईटी डॉ. एस.एम. प्रसन्नकुमार तथा प्रिंसिपल आरईसी-भिलाई डॉ. अजय तिवारी ने भी संबोधित किया। आभार प्रदर्शन सेमीनार के सहसंयोजक डॉ. अमित एलेक्जेंडर ने किया। मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र तथा सर्टिफिकेट वितरित किये गये। संचालन प्राध्यापिका सोनल डेनियल व आरती श्रीवास्तव ने किया।